Wednesday, November 05, 2025

सिख गुरुओं का बलिदान – राष्ट्रभक्ति और आत्मगौरव की अद्भुत मिसाल

🌟 सिख गुरुओं का बलिदान — राष्ट्रभक्ति, परिश्रम और आत्मगौरव की अद्भुत मिसाल 🌟

भारत की मिट्टी हमेशा से वीरों और संतों की धरती रही है। इस भूमि पर जब-जब अन्याय और अत्याचार का अंधकार छाया, तब-तब सिख गुरुओं और उनके परिवारों ने अपने प्राणों की आहुति देकर धर्म, मानवता और राष्ट्र की रक्षा की।


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✨ गुरु नानक देव जी से आरंभ हुई मानवता की ज्योति

गुरु नानक देव जी ने 15वीं सदी में उस समय सत्य, समानता और सेवा का संदेश दिया, जब समाज में अंधविश्वास और भेदभाव गहराई तक फैला हुआ था।
उन्होंने कहा — “ना कोई हिंदू, ना कोई मुसलमान, सब ईश्वर की संतान हैं।”

उनका जीवन मानवता की सेवा, ईमानदारी और परिश्रम का प्रतीक था — एक ऐसी राह जिसने भारत को आध्यात्मिक और सामाजिक रूप से दिशा दी।


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🔥 बलिदान की परंपरा जिसने इतिहास को बदल दिया

सिख परंपरा का इतिहास साहस और बलिदान का इतिहास है।

गुरु अर्जन देव जी को गरम तवे पर बैठाकर शहीद किया गया।

गुरु तेग बहादुर जी ने अपने शीश का बलिदान देकर धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा की।

चारों साहिबज़ादों को दीवारों में चुनवा दिया गया, पर उन्होंने अन्याय के आगे सिर नहीं झुकाया।


इन सभी बलिदानों ने दुनिया को दिखाया कि सच्चा धर्म वही है जो अत्याचार के खिलाफ खड़ा हो, भले ही उसकी कीमत जान क्यों न हो।


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🇮🇳 सन 1984 — दुखद काल, पर अद्भुत धैर्य और वफादारी

सन 1984 के भयानक दौर में सिख समाज ने जिस प्रकार संयम, साहस और वफादारी का परिचय दिया, वह आज भी इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया है।
उनके घर जलाए गए, लोग मारे गए — लेकिन उन्होंने देश के प्रति अपनी निष्ठा नहीं छोड़ी।

उन्होंने न तो आरक्षण की मांग की, न समाज से बदले की भावना रखी।
बल्कि मेहनत, लगन और आत्मविश्वास से स्वयं को आगे बढ़ाया और आज विश्वभर में सिख समुदाय सफलता और सेवा का प्रतीक है।


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💪 मेहनत और आत्मगौरव की मिसाल

आज जब कुछ शक्तियाँ समाज को जाति और वर्ग के नाम पर बाँटने की कोशिश करती हैं,
तो सिख समाज का इतिहास हमें सिखाता है —

> “उन्नति कभी आरक्षण से नहीं, परिश्रम से होती है।”



सिखों ने अपनी मेहनत, अनुशासन और सेवा-भाव से दुनिया को दिखाया कि
आत्मगौरव किसी विशेषाधिकार से नहीं, बल्कि कर्म से अर्जित होता है।


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🕊️ गुरु नानक जयंती का संदेश

गुरु नानक देव जी का संदेश केवल एक धर्म के लिए नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए है।
वे सिखाते हैं कि —

> “नाम जपो, कीरत करो, वंड छको।”
(ईश्वर का स्मरण करो, ईमानदारी से काम करो, और जो मिले उसे बाँटो।)



इस गुरु नानक जयंती पर आइए हम सब संकल्प लें कि
हम सिख गुरुओं के त्याग, सेवा और राष्ट्रप्रेम से प्रेरणा लेकर
एक सशक्त, एकजुट और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान दें।


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🙏 वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह 🙏

— शांत प्रकाश जाटव

Wednesday, June 05, 2024

जाटव भाजपा को वोट नहीं करता है - कल्याण सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश



दिनांक 11 जनवरी 2014 को मैं माननीय कल्याण सिंह जी से हाथरस (आरक्षित) लोकसभा से अपने लिए टिकट मांगने उनकी कालिदास मार्ग लखनऊ कोठी पर पहुंचा।


मैंने हाथरस लोकसभा से चुनाव लड़ने के लिए उनसे आशीर्वाद मांगा क्योंकि वे पूर्व मुख्यमंत्री व पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी थे, उत्तर प्रदेश की सीटों पर उनसे परामर्श कर ही पार्टी टिकट देती थी लिहाजा उनसे टिकट के लिए चर्चा करना नैतिकता थी। इस संबंध में उन्होंने मुझसे कहा कि हम हाथरस लोकसभा से जाटव को टिकट नहीं दे रहे हैंं। मैंने उनसे इसका कारण पूछा तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि जाटव भाजपा को वोट नहीं देता है इसलिए पार्टी जाटव को टिकट नहीं दे रही है। फिर मैंने उनसे कहा मेरे लिए कोई निर्देश, उन्होंने मुुझे आदरणीय श्री राजनाथ सिंह जी से मिलने की सलाह दी। उनका अभिनंदन कर मैं वापस अपने निवास गाजियाबाद लौट आया। 


“उत्तर प्रदेश की लगभग 22 करोड़ आबादी का 21% अनुसूचित जाति वर्ग है जो कि लगभग साढ़े चार करोड़ है जिसमें जाटव, चमार और धूसिया की आबादी लगभग 3 करोड़ है जो सीधे तौर पर किसी भी पार्टी के लिए चुनाव में निर्णायक हो सकती है।"


कुछ दिन बाद मैं पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय राजनाथ सिंह जी व पार्टी के कुछ वरिष्ठ पदाधिकारियों से मिला व उनके ध्यान में इस विषय को लाया कि आरक्षित हाथरस सीट से जाटव को टिकट नहीं दिया जा रहा जैसा कि माननीय श्रीमान कल्याण सिंह जी द्वारा कहा गया था। साथ ही मैने उनसे आग्रह किया कि यदि जाटव भाजपा को वोट नहीं देता है तो क्यों न हम जाटव समाज के बीच नेतृत्व खड़ा करें ? 


तब से अब तक पिछले दस वर्षों में उत्तर प्रदेश के जाटवों को साधने हेतु पार्टी के केंद्रीय व राज्य नेतृत्व द्वारा चुनाव के दौरान केवल जातीय सम्मेलन का आयोजन किया जाता है इतनी बड़ी तादात का महज इक्का दुक्का जातीय सम्मेलन जिसमें अधिकांश भाजपा कार्यकर्ता व कुछ महत्वाकांक्षी चेहरे ही दिखते हैं और समाज की उपस्थिति नगण्य रहती है अतः इस प्रकार के कार्यक्रमों से इतने बड़े समाज का नेतृत्व कतई संभव नहीं है।


2024 लोकसभा चुनाव के परिणाम देखकर मुझे एहसास हुआ की बहुजन समाज पार्टी से जुड़ा जाटव कांग्रेस व समाजवादी पार्टी के पक्ष में केवल एक अफवाह के चलते कि "संविधान खतरे में है" के कारण छिटक गया जो यह जताता है कि जाटव को साधने में चूक हुई है जिसका खामियाजा 2024 के उत्तर प्रदेश लोकसभा सीटों के चुनाव परिणाम पर स्पष्ट दिखाई दिया है।

शांत प्रकाश जाटव 

पूर्व राष्ट्रीय प्रशिक्षण प्रभारी, अनुसूचित जाति मोर्चा 

भारतीय जनता पार्टी 

दिनांक 5 जून 2024