होमगार्ड इतिहास का सबसे बड़ा आंदोलन: शांत प्रकाश जाटव के नेतृत्व में 7 लाख होमगार्डों की अभूतपूर्व एकता से बदली राष्ट्रीय तस्वीर
भारत के सुरक्षा ढांचे में सबसे महत्त्वपूर्ण मगर सबसे उपेक्षित माने जाने वाले “होमगार्ड / गृह रक्षक” आज 2025 में राष्ट्रीय चर्चा के केंद्र में हैं। वह वर्ग, जिसे कभी 1946–47 के पुराने एक्ट के तहत केवल ‘स्वयंसेवक’ का दर्जा दिया गया था—आज पहली बार अपनी सामूहिक शक्ति, एकता और अधिकारों के लिए निर्णायक मुकाम पर खड़ा दिखाई देता है। और इस ऐतिहासिक बदलाव के केंद्र में एक नाम निरंतर गूंज रहा है—भारतीय जनता मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष व भाजपा नेता शांत प्रकाश जाटव।
7 लाख से अधिक होमगार्डों को एक धागे में “पिरोने” वाला आंदोलन
शांत प्रकाश जाटव ने वह असंभव कार्य कर दिखाया जिसे कई दशकों से कोई संगठन राष्ट्रीय स्तर पर नहीं कर पाया था—देश के 7 लाख से अधिक होमगार्ड जवानों को एकजुट करना।
यह वह वर्ग है जो बाढ़, दंगा, महामारी, आपदा, पर्व-त्योहार, चुनाव, सड़क सुरक्षा और पुलिस प्रशासन की लगभग हर गतिविधि में कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहता है।
लेकिन कानून के एक पुराने ढांचे ने उन्हें न वेतन दिया, न पेंशन, न कर्मचारी सुविधाएं।
होमगार्ड अपने जोखिम पर ऐसी ड्यूटी करते रहे जो किसी भी स्थायी सरकारी बल से कम नहीं।
इतिहास का सबसे बड़ा ‘पत्र आंदोलन’—7 लाख स्पीड पोस्ट एक साथ
यह आंदोलन क्यों ऐतिहासिक माना जा रहा है?
शांत प्रकाश जाटव ने देशभर के होमगार्ड साथियों को प्रेरित किया कि वे अपनी आवाज सीधे देश के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाएं।
उनके आह्वान पर:
→ हर होमगार्ड ने व्यक्तिगत रूप से 3 पत्र भेजे
महामहिम राष्ट्रपति को
प्रधानमंत्री को
गृहमंत्री को
→ कुल पत्रों की संख्या पहुँची लगभग 21 लाख (7 लाख × 3)
→ पूरे देश में स्पीड पोस्ट से भेजे गए
जिससे डाक विभाग को करोड़ों रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ—एक ऐसा उदाहरण, जो भारतीय इतिहास में इससे पहले कभी नहीं देखा गया।
यह आंदोलन न केवल सरकार तक आवाज पहुँचाने का माध्यम बना, बल्कि यह भी दिखाया कि यदि इच्छाशक्ति और नेतृत्व दृढ़ हो तो “स्वयंसेवक” कहे जाने वाले लोग भी एक ऐतिहासिक शक्ति बन सकते हैं।
एकता की वह तस्वीर, जिसने देश को बदल दिया
2025 में पहली बार देशभर में होमगार्ड स्थापना दिवस के अवसर पर:
विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री
केंद्रीय मंत्री
सांसद
विधायक
प्रशासनिक अधिकारी
नागरिक संगठनों
ने सोशल मीडिया पर होमगार्डों को शुभकामनाएँ दीं।
जहां पहले होमगार्डों को "सिर्फ एक अस्थायी बल" समझा जाता था, वहीं आज उनके सम्मान में बधाइयों का डिजिटल सैलाब उमड़ पड़ा।
यह परिवर्तन यूं ही नहीं आया—
यह 7 लाख लोगों की सामूहिक शक्ति और शांत प्रकाश जाटव के शांत नेतृत्व का परिणाम है।
सरकार अब बना रही है नया कानून—होमगार्डों का भविष्य सुरक्षित होगा
कई राज्यों और केंद्र सरकार स्तर पर अब यह गंभीर चर्चा में है कि:
1946–47 एक्ट में संशोधन
‘स्वयंसेवक’ की जगह केंद्रीय/राज्य कर्मचारी का दर्जा
सम्मानजनक मानदेय
सेवा सुरक्षा
स्थायी पदों का निर्धारण
इन पर नया कानून लाकर इस बल के भविष्य को स्थायी रूप से सुरक्षित किया जाए।
यह वही परिवर्तन है, जिसकी शुरुआत गाजियाबाद में शांत प्रकाश जाटव द्वारा खड़े किए गए आंदोलन से हुई थी।
नेतृत्व की मिसाल—एकता की डोर जिसमें 7 लाख आवाजें बंधीं
गाजियाबाद में बैठकर शांत प्रकाश जाटव ने
“एकता में बल है” का वह वास्तविक स्वरूप दिखाया,
जो अब पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है।
कई समाचार पत्रों और चैनलों ने इसे
“होमगार्ड इतिहास का सबसे बड़ा जनांदोलन”
कहा है।
निष्कर्ष : यह सिर्फ आंदोलन नहीं, सम्मान की लड़ाई है
आज का होमगार्ड—
जो देश के संकट में सबसे आगे खड़ा रहता है,
जिसे वर्षों ‘स्वयंसेवक’ कहकर नज़रअंदाज़ किया गया—
वह अब अपनी पहचान, अधिकार और सम्मान की नई कहानी लिख रहा है।
और यह कहानी लिखने में
शांत प्रकाश जाटव
का नेतृत्व वह स्तंभ बन गया है
जिसने पूरे देश के होमगार्डों को एक आवाज़ में बदल दिया है।
यह आंदोलन सिद्ध करता है कि—
“जब 7 लाख लोग साथ खड़े हों, तो कानून भी बदल जाता है।”
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