Friday, October 01, 2010

1947 भारत के नेता चाहते तो भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित कर सकते थे। किसी में हिम्मत नहीं थी कि इसकी मुखालिफत करता .

यह ऐतिहासिक क्षण है। जो फैसला राजनेता नहीं कर सके उसे हाईकोर्ट ने सुलझा दिया। इस फैसले का खैरमकदम करना चाहिए। यह एक जम्हूरी मुल्क है कोई जंगल राज नहीं है। इस फैसले को मानने के अलावा कोई चारा भी नहीं है।

इस मामले में सवाल यह था कि विवाद की जगह पर मंदिर था या मस्जिद ? यहां मंदिर होना चाहिए या मस्जिद?

इस फैसले से पहले किसी की कोई भी राय हो सकती थी कि मंदिर टूट के मस्जिद बनी या मस्जिद टूट के मंदिर बना, लेकिन कल तीनों जजों ने कहा कि यहां मंदिर ही रहेगा और यह भगवान राम की जन्मस्थली है, इसीलिए यहां पर मंदिर रहना चाहिए।

बाबरी सिर्फ एक मस्जिद थी।पाकिस्तान बनने के बाद हिंदुस्तान के पंजाब में सैंकड़ों मस्जिदें हैं जहां नमाज नहीं होती। कोई उनकी बात नहीं करता।
बाबरी मस्जिद में कोई खास बात नहीं थी, पर बाबरी एक्शन कमेटी के लीडरान और हिंदू नेताओं ने इसे नाक का मसला बना लिया। पूरे मुल्क को बांट दिया।
इस देश में 85 फीसदी हिंदू हैं।  

पाकिस्तान हमसे 24 घंटे पहले 14 अगस्त को बना और बनते ही अपने को इस्लामिक मुल्क घोषित कर दिया।

15 अगस्त को भारत आजाद हुआ। तब देश में कोई मुस्लिम लीडर इस हैसियत का नहीं था जो खड़े होकर आवाज बुलंद करता। वे तमाम लोग जो पाकिस्तान की बात करते थे उन्होंने मुस्लिम लीग का झंडा उतार कर तिरंगा फहरा लिया।  

यहां के नेता चाहते तो प्रतिक्रिया में भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित कर सकते थे। किसी में हिम्मत नहीं थी कि इसकी मुखालिफत करता, बल्कि हर आदमी यही कहता कि यही सही है, लेकिन इस देश को हिंदू लीडरशिप ने धर्मनिरपेक्ष बनाया। मैं यह कहने में हिचकिचाता नहीं कि इस देश को सेक्युलर बनाने का श्रेय हिंदुओं को जाता है, मुसलमानों को नहीं।

हाईकोर्ट के फैसले के बाद उस जगह मंदिर है और मंदिर ही रहेगा। जो जगह बराबर में खाली पड़ी है वहां मस्जिद बना दी जाए.

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