Saturday, November 12, 2011

अवध व पश्चिमी उप्र क्षेत्र वाले जोन में शांत प्रकाश को प्रभारी बनाया है।

आरक्षित विस क्षेत्रों को टारगेट करेगी भाजपा
Nov 11, 06:35 pm

पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं की टीम जुटेगी, प्रदेश को 3 जोन में बांटा
- 85 विस सीटों पर होंगे सम्मेलन, मिश्र आयोग की रिपोर्ट बनेगा मुद्दा
लखनऊ, जाब्यू : मिशन 2012 की कामयाबी को भाजपा ने 85 आरक्षित विधानसभा सीटें 'टारगेट' कर चुनावी रणनीति तय की है। प्रदेश को 3 जोन में विभक्त कर केंद्रीय पदाधिकारियों को प्रभारी बनाते हुए पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं को क्षेत्र में उतारने का फैसला किया गया है।
भाजपा मुख्यालय में शुक्रवार को अनुसूचित जाति मोर्चा पदाधिकारियों की राष्ट्रीय अध्यक्ष दुष्यंत गौतम की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में वर्ष 1991 के विस चुनाव में आरक्षित सीटों पर पार्टी के प्रदर्शन को दोहराने का संकल्प लिया गया। तब भाजपा के 61 विधायक अनुसूचित वर्ग से चुनकर आए थे लेकिन 2007 के विस चुनाव में संख्या घटकर मात्र 7 ही रह गई। प्रभारी रामनाथ कोविंद ने दावा किया कि बसपा के तेजी से गिरते ग्राफ का लाभ आरक्षित सीटों पर भाजपा को ही मिलेगा। करीब 51 आरक्षित विस क्षेत्रों पर भाजपा काफी बेहतर स्थिति में है।
दो सत्रों में चली बैठक में फैसला लिया गया कि जो कार्यकर्ता चुनाव न लड़े उन्हें पूर्णकालिक के तौर पर क्षेत्र में लगाया जाए। प्रदेश को 3 जोन में बांटकर प्रभारी तैनात किए गए हैं। बृज व कानपुर क्षेत्र को मिलाकर बने जोन का जिम्मा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमेशचंद रत्न संभालेंगे तो काशी व गोरखपुर क्षेत्र में राष्ट्रीय महामंत्री दिवाकर सेठ प्रभारी रहेंगे। अवध व पश्चिमी उप्र क्षेत्र वाले जोन में शांत प्रकाश को प्रभारी बनाया है।
मोर्चा प्रदेश महामंत्री ब्रजेश्वर नीमी ने बताया कि अनुसूचित जाति वर्ग में पैठ बढ़ाने के लिए तय कार्यक्रमों में सभी आरक्षित विस क्षेत्रों में 16 दिसंबर से सम्मेलन किए जायेंगे। जिसमें रंगनाथ मिश्र आयोग की रिपोर्ट को मुद्दा बना कर धर्म आधारित आरक्षण का विरोध किया जाएगा। 22 नवंबर को झलकारी बाई जयंती व 26 नवंबर को संविधान दिवस पर जिलों में कार्यक्रम होंगे। 6 दिसंबर को बाबा साहब कापरिनिर्वाण दिवस व्यापक स्तर पर मनाया जाएगा।
बैठक की अध्यक्षता मोर्चा अध्यक्ष भानुप्रताप वर्मा ने की। झारखंड के संगठन मंत्री हरेंद्र कुमार, राजमणि, महामंत्री विंध्यवासिनी कुमार व पूर्व मंत्री रमापति शास्त्री ने विचार व्यक्त किए।

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