Wednesday, May 18, 2016

2030 तक आरक्षण मुक्त होगा भारत - जाटव


नई दिल्ली।।
जातिगत आरक्षण अंग्रेजों का भारत की जनता को बांटने का षडयंत्र था, आज का युवा यह बात बखूबी समझ रहा है और युवाओं की इस चेतना को देखते हुए मूवमेंट  अगेंस्ट रिजर्वेशन की मुहिम के मुखिया के नाते मैं सभी को विश्वास दिलाता हूँ कि वर्ष 2030 तक देश आरक्षण मुक्त होगा। उक्त उद्गार वरिष्ठ भाजपा नेता व मूवमेंट अगेंस्ट रिजर्वेशन के अध्यक्ष शांत प्रकाश जाटव ने नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में व्यक्त किये।
जाटव नई दिल्ली स्थित हिंदी भवन में एक नागरिक अभिनंदन समारोह में बोल रहे थे। 15 मई को आयोजित इस कार्यक्रम में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी द्वारा अपने व अपने परिवार के आरक्षण का लाभ परित्याग करने हेतु नागारिक अभिनंदन किया गया, वहीं 'राष्ट्रीय एकता हेतु, आरक्षण जरूरतमंद को’ एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जैन धर्मगुरू आचार्य डॉ. लोकेश मुनि एवं हजरत सैय्यद बाबर अशरफ के सानिन्ध्य तथा मूवमेंट अगेंस्ट रिजर्वेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शांत प्रकाश जाटव की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में अतिविशिष्ट अतिथि के तौर पर उद्योगपति अनिल त्यागी और विशिष्ट अतिथि के तौर पर मनोहर लाल तंवर, मोनिशा भाटिया, सुरेन्द्र कुमार प्रजापति, जनाब लाल शाह कादरी एवं गाँधी शर्मा मौजूद रहे। इस दौरान मौजूद सभी वक्ताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि उनके इस कदम की जितनी सराहना की जाये कम है।
इस अवसर समारोह के अध्यक्ष शांत प्रकाश जाटव ने जीतनराम मांझी के इस कदम की प्रशंसा करते हुए कहा कि आज ऐसे तमाम समर्थ लोगों को आगे आकर आरक्षण छोड़ना चाहिए, जो हर तरह से संपन्न हैं और वास्तविक जरूरतमंदों का हक मार रहे हैं।
इस अवसर पर श्री जाटव ने कहा कि अंग्रेजों ने वर्ष 1909 में मुस्लिमों के लिए अलग से आरक्षित सीटों की व्यवस्था करके आरक्षण का जो विष बोया था, आज वह सामाजिक समरसता के लिए अभिशाप बन गया है। उन्होंने कहा कि 1909 में अंग्रेजों द्वारा मुस्लिमों के लिए की गई आरक्षित सीटों की व्यवस्था जहां पाकिस्तान के निर्माण का कारण बनीं, वही व्यवस्था आज हिंदुस्तान में सामाजिक ताने-बाने के लिए अभिशाप बन गई है। उन्होंने मौजूदा आरक्षण व्यवस्था की खामियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि आरक्षण व्यवस्था लागू करने के बाद से आरक्षित जातियों की तादाद बढ़ती क्यों गई, इस सवाल का जवाब नीति-नियंताओं को देना ही होगा। उन्होंने कहा कि यह संक्रमण काल है, जिसमें समाज का हर वर्ग अपने आत्मसम्मान को आरक्षण के लिए बेचने के लिए तैयार बैठा है। जाटव ने महार, चमार, पासी, कोरी सरीखी जातियों के ऐतिहासिक गौरव को याद दिलाते हुए कहा कि इतिहास में अपने गौरवपूर्ण सम्मान के लिए जाने-जाने वाली जातियां आज की मौजूदा आरक्षण व्यवस्था में याचक जैसी दिखाई देती हैं।
उन्होंने कहा कि आज युवा वर्ग का भरपूर समर्थन मूवमेंट अगेंस्ट रिजर्वेशन को मिल रहा है और युवाओं की इस ऊर्जा को देखते हुए मुझे महसूस होता है, कि जातिगत आरक्षण की इस सड़ी-गली व्यवस्था का सूरज अस्त होने की ओर है।

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