Thursday, August 30, 2018

भीमा कोरेगांव राष्ट्र विरोधियों का शौर्य प्रतीक है राष्ट्रवादी इसकी सच्चाई को समझें

चमार और महार समुदाय का बुनियादी फर्क सामने आया, चमार रेजीमेंट के शौर्य की इबारत शौर्य दिवस के मुकाबले कहीं ज्यादा चमकीली
नई दिल्ली. 03 जनवरी. भीमा कोरेगांव में शौर्य प्रदर्शन के कार्यक्रम में हंगामे पर रोष व्यक्त करते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता तथा अखिल भारतीय हिन्दू जाटव महासभा के अध्यक्ष शांत प्रकाश जाटव ने कहा है, कि ईस्‍ट इंडिया कंपनी के साथ मिलकर 1818 में जहां महार सैनिकों ने भारत में अंग्रेजों को मजबूत किया था, वहीं 1943 में आजाद हिंद फौज के नेतृत्व में लड़ी चमार रेजीमेंट ने अंग्रेजों के दांत खट्टे करते हुए वीरता की नई इबारत लिखी थी. जाटव ने कहा कि महार और चमार समुदाय के बीच का यह बुनियादी फर्क आज भी देखने को मिल रहा है. जहां एक ओर देश का चमार समुदाय राष्ट्रहित में देश को विकास के रास्ते पर आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत है, वहीं महार समुदाय आज भी 200 वर्ष पुरानी उस दासता को शौर्य के नाम पर ढोने का कोशिश कर रहा है, जो शौर्य उनका न होकर अंग्रेजों का था. उन्होंने कहा कि भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के बाद एक बार फिर चमार और महार समुदाय का बुनियादी फर्क सामने आ गया है तथा चमार रेजीमेंट के शौर्य की इबारत शौर्य दिवस के मुकाबले कहीं ज्यादा चमकीली है. शांत प्रकाश जाटव ने कहा कि कोरेगांव युद्ध को जो महार जाति अपनी अस्मिता के साथ जोड़ती है, वह यह क्यूं भूल जाती है, कि ईस्ट इंडिया कंपनी की फौज के ये महार सैनिक अपने लिए नहीं बल्कि अंग्रेजों के लिए लड़े थे. देश में चमार रेजीमेंट की बहाली की लड़ाई लड़ रहे जाटव ने कहा कि कैसा दुर्भाग्य है, कि देश के दुश्मनों के साथ मिलकर लड़े लोग शौर्य दिवस मना रहे हैं, जबकि देश की आजादी की लड़ाई लड़ने वाली वीर चमार रेजीमेंट के सैनिकों की वीरता और रेजीमेंट की बहाली और उसके सम्मान के लिए उन्हें देश में ही लड़ाई लड़नी पड़ रही है.
गौरतलब है, कि भाजपा नेता शांत प्रकाश जाटव ने अक्‍टूबर 2015 में केंद्र सरकार से इस रेजीमेंट की बहाली की मांग की थी. उनकी इस मांग पर नवंबर 2015 में तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने लिखा था कि वह मामले की जांच करवायेंगे.
जाटव ने कहा कि वह चाहते हैं, कि हर देशवासी इस बात को समझ ले कि

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वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि अब यह देश को तय करना है, कि अंग्रेजों की चाकरी और चाटुकारिता करने वाले लोग देश के आदर्श होंगे या फिर हिंदुस्तान की आज़ादी के लिए लड़ाई लड़ने वाले चमार रेजीमेंट के वे वीर सैनिक जिन्होंने देश की आन-बान-शान के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर किया था.

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