बाल श्रम कानून का हो रहा है खुलकर दुरूपयोग और समाज ले रहा है आनंद और आनंद भी ऐसा की उस के बिना न खाना अच्छा न सोना अच्छा सब दिल थाम कर आनंद लेते हैं. आज कल छोटे परदे पर बाल कलाकारों के इर्दगिर्द सीरियलों का निर्माण हो रहा है .
आप की अंतरा , बालिका वधु , उतरन , रामायण आदि सीरियल जिनमें बाल कलाकारों की तादात काफी है कार्य कर रहे हैं .
चूँकि यह सीरियल व्यवसायिक दृष्टि को ध्यान में रख कर बनाये गए हैं और इसके सभी कलाकार भी कार्ये के एवज में पैसा ले रहे हैं कार्यक्रम के निर्माता और निर्देशक भी कार्यक्रम से पैसा कमा रहे हैं. इस प्रकार यह प्रथम द्रष्टया बाल शोषण के अर्न्तगत आता है. इन सीरियलों मैं कार्ये करने वाले बच्चे चोदह वर्ष से कम आयु के हैं लिहाजा बाल श्रमिक संरक्षण अधिनियम के मुताबिक इन से काम लेने वाले व् इनके माता-पिता व् संरक्षक अपराध कर रहे हैं .
बाल श्रम कानून साफ तौर पर इस प्रकार समझा जा सकता है की यदि कोई पिता अपने चोदह वर्ष की कम आयु के बच्चे के साथ किसी का छप्पर बनाने जाता है और उसका बच्चा उसमें उसका सेयोग करता है जिसके एवज में पिता को पारिश्रमिक मिलता है तो मामला बल श्रम शषण का बनता है जो कानूनन अपराध है .
लिहाजा कर्तव्यबोध संस्था ने इस के विरोध में केन्द्रिये श्रम मंत्रालय को पत्र लिखकर इस प्रकार के अपराध को तुंरत रोकने की मांग की है . इस प्रकार के कर्येक्रमों पर तुंरत रोक लगनी चाहिए नहीं तो मासूम बचपन बड़े होने से पहेले ही मुरझा जायेगा .
आप की अंतरा , बालिका वधु , उतरन , रामायण आदि सीरियल जिनमें बाल कलाकारों की तादात काफी है कार्य कर रहे हैं .
चूँकि यह सीरियल व्यवसायिक दृष्टि को ध्यान में रख कर बनाये गए हैं और इसके सभी कलाकार भी कार्ये के एवज में पैसा ले रहे हैं कार्यक्रम के निर्माता और निर्देशक भी कार्यक्रम से पैसा कमा रहे हैं. इस प्रकार यह प्रथम द्रष्टया बाल शोषण के अर्न्तगत आता है. इन सीरियलों मैं कार्ये करने वाले बच्चे चोदह वर्ष से कम आयु के हैं लिहाजा बाल श्रमिक संरक्षण अधिनियम के मुताबिक इन से काम लेने वाले व् इनके माता-पिता व् संरक्षक अपराध कर रहे हैं .
बाल श्रम कानून साफ तौर पर इस प्रकार समझा जा सकता है की यदि कोई पिता अपने चोदह वर्ष की कम आयु के बच्चे के साथ किसी का छप्पर बनाने जाता है और उसका बच्चा उसमें उसका सेयोग करता है जिसके एवज में पिता को पारिश्रमिक मिलता है तो मामला बल श्रम शषण का बनता है जो कानूनन अपराध है .
लिहाजा कर्तव्यबोध संस्था ने इस के विरोध में केन्द्रिये श्रम मंत्रालय को पत्र लिखकर इस प्रकार के अपराध को तुंरत रोकने की मांग की है . इस प्रकार के कर्येक्रमों पर तुंरत रोक लगनी चाहिए नहीं तो मासूम बचपन बड़े होने से पहेले ही मुरझा जायेगा .
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