स्लम डॉग - झोपड़ बस्ती में रहने वाले इन्सान ।
यह संज्ञा अब शामिल की जा रही है टेक्सास के अस्टिन स्थित द ग्लोबल लेंगुएज कंपनी द्वारा प्रकाशित शब्दकोष यानि भाषाई संविधान में बतौर १० लाखवां शब्द के रूप में। कोई भी भाषा विद इस शब्द की यह संज्ञा किसी भी रूप में यह नहीं दे सकता । दरअस्ल यह संज्ञा शब्द रूप नहीं बल्कि गाली है विश्व में रहने वाली एक चोथाई आबादी को । जब यह शब्दकोष में स्थान ले लेगी तब यह इसका स्थाई एवं वैद्यानिक अर्थ बन जायगा . जो विश्व के किसी भी देश में मान्य नहीं होगा . चार्टर ऑफ़ यूनाइटेड नेशन्स एवं भारतीये संविधान इस प्रकार की मानव अहित की संज्ञा को बिलकुल मान्यता नहीं देते . इस संज्ञा का शब्दकोष में शामिल करना बिलकुल गलत है और मानव जाति पर कुठराघात है .
लिहाजा यह शब्द इस संज्ञा के साथ बिलकुल किसी भी सूरत में शामिल नहीं होना चाहिए . विश्व के सभी बुद्धिजीवी समाज के लोग इसका विरोध करें ताकि मानव जाति कलंकित होने से बच सके .
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