मार्क्सवाद के अनुसार संस्कृति और सभ्यता का विकास अतिरिक्त उत्पादन से हुआ,
लेकिन हिंदू संस्कृति और आस्था का विकास अतिरिक्त जिज्ञासा, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हुआ।
हिंदू आस्था का अंदाज निराला है। करोड़ों ने देखा, करोड़ों ने सुना और गुना, अंतत: अनुभूति हुई और आस्था बनी।
ऋग्वेद में सृष्टि निर्माणकर्ता पर भी जिज्ञासुपरक टिप्पणियां हैं।
पंथिक आस्थाओं का निर्माण देववाणी और पवित्र पुस्तकों से हुआ।
श्रीराम भारतीय राष्ट्रभाव का चरम आनंद हैं, वे मंगल भवन हैं, अमंगलहारी हैं। वे भारतीय मन के सम्राट हैं, पुराण में हैं, काव्य में हैं, इतिहास में भी हैं। लेकिन श्रीराम पर बहस है कि वे काव्य कल्पना हैं या इतिहास? वे इतिहास हैं तो जन्मस्थान भी बहस के घेरे में है। न्यायालय के निर्देश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने खुदाई की थी। बहरहाल, रिपोर्ट में ईसा पूर्व 3500 वर्ष से 1000 ईसा पूर्व तक अयोध्या एक बस्ती है। शुंग काल (200-100 ईपू) कुषाण काल (100 ई-300 ई) और गुप्तकाल (400 ई-600 ई) तक यहां बस्तियां हैं, सिक्के हैं, देवी भी हैं। इसके बाद के स्तरों में मंदिरों के अवशेष हैं।
एएसआई रिपोर्ट के अनुसार एक गोलाकार विशाल मंदिर दसवीं सदी में बना। इसके उत्तर में जलाभिषेक का प्रवाह निकालने वाली नाली भी है। फिर एक दूसरा मंदिर है। यहां हिंदू परंपरा का प्रतीक कमल है, वल्लरी हैं। 50 खंभों के आधार मिले हैं। काले पत्थरों के खंभों के अवशेष भी हैं। यह मंदिर लगभग 1500 ईसवी तक रहा।
आगे का इतिहास इस्लामी हमलों का है।
सन 1528 में बाबर के सिपहसालार मीरबाकी ने इसी मंदिर को गिराकर बाबरी मस्जिद बनवाई।
आस्टि्रया के टाइफेंथेलर ने लिखा है कि बाबर ने राम मंदिर को ध्वस्त किया और मस्जिद बनाई।
ब्रिटिश सर्वेक्षणकर्ता (1838) मांट गुमरी मार्टिन के मुताबिक मस्जिद में इस्तेमाल स्तंभ राम के महल से लिए गए।
एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका में भी सन 1528 से पूर्व बने एक मंदिर का हवाला है।
एडवर्ड थार्नटन ने लिखा कि बाबरी मस्जिद हिंदू मंदिर के खंभों से बनी।
पी कार्नेगी भी हिस्टारिकल स्केच आफ फैजाबाद, विद द ओल्ड कैपिटल्स अयोध्या एंड फैजाबाद में मंदिर की सामग्री से बाबर द्वारा मस्जिद निर्माण का वर्णन करते हैं।
गजेटियर ऑफ दि प्राविंस आफ अवध में भी यही बातें हैं।
फैजाबाद सेटलमेंट रिपोर्ट भी इन्हीं तथ्यों को सही ठहराती है।
इंपीरियल गजेटियर ऑफ फैजाबाद भी मंदिर की जगह मस्जिद निर्माण के तथ्य बताता है।
बाराबंकी डिस्टि्रकट गजेटियर में जन्मस्थान मंदिर को गिराकर मस्जिद बनाने का वर्णन है।
मुस्लिम विद्वानों ने भी काफी कुछ लिखा है।
मिर्जा जान कहते हैं, अवध राम के पिता की राजधानी था। जिस स्थान पर मंदिर था वहां बाबर ने एक ऊंची मस्जिद बनाई।
हाजी मोहम्मद हसन कहते हैं, अलहिजरी 923 में राजा राम के महल तथा सीता रसोई को ध्वस्त करके बादशाह के हुक्म पर बनाई गई मस्जिद में दरारें पड़ गई थीं।
शेख मोहम्मद अजमत अली काकोरवी ने तारीखे अवध व मुरक्काए खुसरवी में भी मंदिर की जगह मस्जिद बनाने का किस्सा दर्ज किया।
मौलवी अब्दुल करीम ने गुमगश्ते हालाते अयोध्या अवध (1885) में बताया कि राम के जन्म स्थान व रसोईघर की जगह बाबर ने एक अजीम मस्जिद बनवाई।
इस्लामी हमलावरों और शासकों ने समूचे भारत में मंदिर तोड़ने व मस्जिद बनाने का अभियान चलाया था।
डॉ. बीआर अंबेडकर ने पाकिस्तान आर पार्टीशन ऑफ इंडिया में लिखा, मुस्लिम हमलों का लक्ष्य लूट या विजय ही नहीं था, नि:संदेह इनका उद्देश्य मूर्ति पूजा और बहुदेववाद को मिटाकर भारत में इस्लाम की स्थापना भी था।
पहले मोहम्मद बिन कासिम (711 ईसवी) फिर महमूद गजनी। महमूद के अधिकृत इतिहासकार उतवी ने लिखा, उसने मूर्तियां-मंदिर तोड़े, इस्लाम की स्थापना की।
मोहम्मद गोरी के इतिहासकार हसन निजामी के मुताबिक, उसने काफिरों, बहुदेववाद, मूर्तिपूजा की अशुद्धता नष्ट की।
कुतुबुद्दीन ने दिल्ली में कूवत-उल-इस्लाम मस्जिद बनाई। इसका नाम ही इस्लाम की ताकत (कूवत) है। इसकी पूर्वी दीवार पर अरबी में लिखा है, 27 मंदिरों को ध्वस्त कर सामग्री से मस्जिद बनाई गई।
अजमेर में अढ़ाई दिन का झोपड़ा नामक मस्जिद है। अढ़ाई दिन में भव्य निर्माण नहीं होते। यह विगृहराज चतुर्थ का बनाया सरस्वती मंदिर है। इसे मस्जिद बनाया गया।
हसन निजामी ने कुतुबुद्दीन की तारीफ में ताज उलमासिर में लिखा विजेता ने इलाके को मूर्ति और मूर्ति पूजा से मुक्त किया, मंदिरों के गर्भगृहों में मस्जिदें बनाई।
श्रीराम जन्मभूमि राष्ट्रीय भावना की प्रतीक है। करोड़ो जन आहत हैं। बाबरी मस्जिद पक्ष के भी अपने आग्रह हैं।
हिंदू मानस ने दिल्ली की कूवत उल इस्लाम मस्जिद, अढ़ाई दिन का झोपड़ा आदि सैकड़ों मंदिरों के मस्जिद बनाए जाने पर शोर नहीं मचाया। लाखों मतांतरण जोरजबर से कराए गए।
मेरी एक बात समझ में नहीं आती कि हनुमान जो चिरंजीव हैं अर्थात हमेशा जिन्दा रहेंगे और जो राम के सबसे बडे भक्त हैं के होते हुए राम का मन्दिर कैसे ढा दिया गया, हतुमान तब कहां थे या अब कहां हैं इस बारे में भी कोई जानकारी हो तो लिखिएगा
ReplyDeleteसूअर ...... तुज़े इस बात की जानकारी है की नहीं की तुम सब
Deleteभारतीय मुसलमान कभी हिन्दू ही थे | तुम सब को मार मार कर मुस्लमान बनाया गया है |
यदि तेरी तेरे अल्ला से बातचीत हो तो पूछना
|| जय सियाराम ||
अरे ये क्या बतायेगे ...बल्कि कोई भी नहीं बताएगा ..क्योकि हम अपनी पहचान और धर्मो के लिए लड़ते है जो सारी दुनिया लड़ रही है ..आप किस किस से ये सवाल पूछोगे ..अमेरिका के कुरआन जलाने वाले पादरी से या कट्टरता में जीने वाले अरब देशो के मुल्को से या यूरोप में पोप की हकुमत मानने वाले बुद्धीजीवीयो से या प्राचीन धरोहर और संस्कृति को मिटाने वाले तालिबानियों से जापान और चीन के प्रगतिसुचक समूह से..भैय्या ये सब हिन्दुस्तान में ही पूछा जाता है और कही नहीं ..ये सवाल आप देश से बाहर उन देशो की पहचान को मिटाने के बारे में करके दखिये आपकी क्या गत बनती है.....अब हम क्या जवाब दे हम कायर है कुओकी हमने अपने धर्म और पहचान को ही कमजोर कर रखा है हिन्दू को अगड़े और पिछडो और दलितों में बाट रखा है ...और आज भी दलितों और आदिअवासियो पर जुल्म किये जाते है , उन्हें जानवरों जैसी जिन्दगी जीने को मजबूर किया जाता है चालीस करोड़ ये लोग चालीस मुस्लिम और इसाई देशो के बराबर है ..और करने वाले यी कथित हिदुवादी है जो अपने आप को धर्म का ठेके दार कहते है
ReplyDeletebhai hazrt mohmad.l.l hu. sahab ko kudha key faristo ney dono pahar dosmono par daleny ki bat kahi thi par aapney uneh esha nahi karney diya kiyu ki uneyhey pura viwas tha ki way toba kareygey, babar key mir baki. khuda key liyey nahi khud key liyey aayey they.hazrat suleyman bhai sabkey toba ki raha dekh rahey . khudu ka hukm ho ga to woh karisma bhi hoga, rahamt tul aalmin ki kaum bey raham nahi ho sakti, ensaf hi ham sabki pahchan hey.
ReplyDeletehanumaan ji hai...aane waale hai janab...sabhi deshbhakto ka haunsla badaane...aur deshdrohiyo ko maar bhagaane.....hanumaan he aaenge...
ReplyDeletekasam raam ki khaate hai mandir vahi banaenge....
ap chinta mat kijiye..
balbeer aapki kya iccha he ye bataiye fir me usaka jawab dunga
ReplyDeleteशांत प्रकास जी वहां तो मंदिर ही बनेगी. चाहे उसके लिए कितनी ही कुर्बानियां न देनी पड़ें.
ReplyDeleteऔर जैसा बलबीर सिंह (आमिर) जी ने पुछा है हनुमान जी तब कहा थे और अब कहाँ हैं, तो उनको मैं यह बताना चाहूँगा की हनुमान हमरे दिलों में बसते हैं, तुलसी दास जी को मेले भी थे, और हनुमान जी के ही अगुआई में ही बाबरी मस्जिद ध्वस्त हुई. ओ लड़का कुन है जो सबसे पहले मस्जिद पर चढ़ा उसको कोई जनता है ओ भी हनुमान जी का एक रूप ही था. जो मस्जिद गिरा गया, अपनी सेना के साथ.
hunumanji chiranjiv they ar rahenge maulanaji to lag rha comment kar rahey hai filhal mai sirf yhi kahna chahta hun ki baat mandir ya maszid ki nhi hai Baat hai satya ki ar sirf satya ki... Satya yha yhi hai ki Ayodhaya mei RamJi ka hee mandir tha ar Ramji ka Mandir hee banna chahiye yha..Hm sab Satya k sath hai ar satya ki ladai sbhi ko ladna chahiye..
ReplyDeleteSIR,
ReplyDeleteJAISA KI ANOOP JI NE KAHA BAAT MANNDIR YA MASHJID KI NAHI HAI, BAAT H SATYA KI KI SATYA KYA H AUR SATYA YAHI HAI JO KI DUNIYA KE SABHI LOGO KO PATA, HAI KI AYOUDHYA RAM JI KA JANM STHAN HAI AUR RAM JANM STHAN PE MASHJID KA HAQ BATANA SIRF EK CHALAVA KE SHIVA KUCH AUR NAHI HAI,RAM JANM STHAN PE SIRF RM MANNDIR HI BANEGA ,
AUR AGAR BHOOL SE BHI ISHE MASHJID BATAYA GAYA TO ISH PURI DUNIYA MAI TUFAAN A JAYEGA,KYOUNKI RAM BHAKT HANUMAAN YE SAHAN NAHI KAR PAYENGE AUR UNHE FRR SE EK LANKKA MAI AAG LAGANE ANA HI PADEGA
"JAI SHREE RAM"
कंकर पाथर जोड के मस्जिद दयी बनाए।
ReplyDeleteवापे चढ मुल्ला अजान मारे किया बहरा हुआ खुदाए।।
सभी अपने अपने विचार रख रहे है में भी कुछ बताना चाहूंगा, खासकर मौलाना आपकों। आपने जो राम भगत हनुमान जी के विष्य में कहा है। मैं उसका जवाव देना चीहूंगा कि हनुमान जी कोई आम इंशान तो हैं नहीं जो किसी को भी दिखाई दे जाएंगे। उनके दर्शंन करने के लिए कठौर साधना करनी पडती है। मैं तो तुमसे यह कहता हूं की अगर तुम्हें उनके दर्शन करने है, तो सब कुछ भूलकर उनती भगती में लग जाओं। रही बात राम मंदिर की वह तो वहां पहले से था ही। मौलाना तुम अपने नाम में ही देख लो( बलबीर सिंह , आमिर ) हनुमान जी का अंश तो तुम्हारे नाम में भी छिपा हुआ हैं। तुम्हें एक बात और बताना चाहुंगा कि कभी हरियाणा की तरफ जाना वहां जो भी मुस्लिम लोग हैं ,वह हिंदुओं की तरह रहते हैं, उनके जैसे ही नाम रखते है। ये मैं इस लिए बता रहा हूं की अयोध्या में सिर्फ भगवान राम का मंदिर था और रहेगा । भैय्या यहा कोई कुछ भी पूछ लेता है सिर्फ हिंदु धर्म के लोगों से.... क्योंकि हिंदु धर्म एक सागर है, ये सारे नदी नालों को अपने अंदर समा लेता है, लेकिन लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए कि जब समुंदर में तुफान उठता है तो वह विनाश लाता है । ये तो पूरी दुनिया व सभी धर्मों के लोगों को पता है की अयोध्या राम की नगरी है । तो फिर वहां मस्जिद का तो कोई सवाल ही नहीं उठता ।
मान लिजिए अगर कोई किसी की जमीन पर जबरन कबजा करके और अपनी बदमाशी के दंम पर कुछ निर्मान करा दे तो जरा बताइये उसे आप किया कहेंगे.........राम मंदिर के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ ।
राम मंदिर वहीं बनेगा और भव्य बनेगा जिसे सारी दुनिया देखेगी ।
जय श्री राम......जय हिंद.......वंदे मातरम्
desh me jaha jaha mandir todkar masjid bani ho aur masjid ko todkar mandir bana ho..un sabhi jagho par fir se waha jo pahle raha ho mandir ya masjid use history check karke fir se bana dena chahiye..
ReplyDeletemanish
aaj jo log ayodhya main masjid banwane ki wakalat karte hai, nischay hi we log apni ochi aur gandi mansikta ka parichay de rahe hai.
ReplyDeletesach kaha jai to mulla ji jo ki hindu dhram ke bare main is tarah ki baat karte hai, jara apni puch utha ke dakhia aapke purkhe bhi hindu hi rahe hai. are aapke purvaj ko to hindustan main jabaria ghuse muslim aakrantao ne jabria pakad kar muslman banagaya hai.
jai shri ram, jai hind jai bharat.
JAB MOMINO KO APNE ALLAH PR ITNA VISVASH H TO WO KYA HINDUO KE MANDIRO KO TOD KR MAZIDE BANAI
ReplyDeletevijay singh
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