Monday, January 21, 2013

क्या गृह मंत्री जी बतायंगे की

क्या गृह मंत्री जी बतायंगे की 

सितम्बर 2006 को मालेगांव में हुए बम विस्फोटों के सम्बन्ध में महाराष्ट्र ATS नें 21 दिसम्बर 2006 को कोर्ट में चार्जशीट प्रस्तुत कर दी | 22 दिसम्बर 2006 को अबरार अहमद ने गुनाह कबूल करते हुए सरकारी गवाह बनने का प्रार्थना पत्र न्यायलय के सम्मुख प्रस्तुत किया | सारा प्रकरण सुलझ जाने के बाद क्या कारण था की 22 दिसम्बर 2006 को ही महाराष्ट्र सरकार ने प्रकरण CBI को सौप दिया ? क्या कारण है कि तब से आज तक उक्त प्रकरण में कोई प्रगति नहीं हुई है ?

क्या कारण है की 2006 के मालेगाव बम विस्फोट प्रकरण को सफलता पूर्वक हल करने वाले ATS के प्रमुख श्री रघुवंशी को चार्जशीट प्रस्तुत करने के तुंरत पश्चात हटा कर रेलवे पुलिस बल का प्रमुख बनाकर भेज दिया ?

2006 मालेगांव विस्फोट प्रकरण को हल करने के लिए न तो नारको टेस्ट की आवशयकता पड़ी, न ब्रेन मैपिंग की, न किसी अन्य वैज्ञानिक जांच प्रक्रिया की | फिर क्या कारण है कि 2008 के मालेगांव विस्फोट के सम्बन्ध में यह सब कुछ इतने व्यापक पैमाने पर बार -बार कराया जा रहा है ?

18-19 फरवरी 2007 को हरियाणा में समझोता एक्सप्रेस में विस्फोट हुए | अप्रैल 2007 को सफ़दर नागौरी ने नार्को टेस्ट के दौरान यह स्वीकार किया की समझोता एक्सप्रेस के विस्फोट में सिमी कार्यकर्ताओ का हाथ था | यह खुलासा होने के बाद भी हरियाणा पुलिस ने जाँच को आगे बढ़ने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई | क्या कारण है की अब महाराष्ट्र ATS समझोता एक्सप्रेस प्रकरण की जांच को मोड़ कर हिन्दू संगठनों को घेरे में लाना चाहती है? क्या महाराष्ट्र ATS पूरेदेश की जाँच एजेंसी बन गयी है ? क्या यह ATS वही है जिसने 8 सितम्बर विस्फोट की जाँच को महाराष्ट्र सरकार ने ही अविश्वसनीय मान लिया था ?

जो ATS भोपाल में उतरने के लिए जो स्वयं झूठ बोले की हमारे साथ मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख है, उसकी किस बात को सत्य माना जाये ? महाराष्ट्र ATS को बुल्स कंपनी का विमान किसने उपलब्ध करवाया ?

देश के 28 राज्यों में ATS या उस जैसी संस्थाए अपराधों एवं अपराधियों को खोजती हे उसमे से केवल महाराष्ट्र को ही क्यों चुना ? क्या इसलिए की इस पार्टी का जहाँ शासन हे वही पार्टी केंद्र में भी हे तथा उसी पार्टी के केन्द्रीय गृहमंत्री हैं ?

सीबीआई को प्रकरण सौंपने के लिए कोई मांग की जाती है किन्तु मालेगांव के दूसरे विस्फोट की जांच ATS एवं सीबीआई दोनों के सलाह से आगे बढ़ रही हे क्या यह केंद्र एवं महाराष्ट्र की मिलीभगत नहीं हे ?

क्या महाराष्ट्र ATS प्रमुख की तरह सीबीआई के सीनियर ऍम.एल शर्मा के बजाए राजीव गाँधी के सिक्योरिटी में रहे आश्विनिकुमार को सीबीआई प्रमुख बनाया जाना अन्तराष्ट्रीय दबाव में किये षड़यंत्र का अंग तो नहीं है ?

गुजरात के डांग क्षेत्र में वनवासी बंधुओ में सेवा कार्य कर रहे है स्वामी असीमानंद जी को भी महाराष्ट्र ATS ने जांच के घेरे में लिया है | स्वामी असीमानंद के सेवाकार्य से वहां कार्यरत ईसाई मिशनरियो के इशारे पर ATS के माध्यम से स्वामी असीमानंद जेसे हिन्दू संतो को निशाना बना रही है ?

उडीसा में स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती एवं उनके पांच साथियों की जघन्य हत्या करने वाले अपराधी आज भी कानून की पकड़ के बहार हैं | इस जघन्य हत्याकांड के पश्चात पूरे उडीसा में हिन्दुओ का आक्रोश उबल पड़ा | इस उफनते आक्रोश ने यूरोप औरअमरीका की सरकारों को एवं ईसाई मिशनरियों को चिंता में डाल दिया !

क्या मालेगांव 2008 विस्फोट की जाँच के माध्यम से एक अन्तराष्ट्रीय साजिश के तहत हिन्दुओ को दबाने, बदनाम करने तथा कुचलने का षड़यंत्र रचा गया है ?

भारत के इतिहास में पहली बार सेना पर छीटे उछाले गये है | यदि सेना के किसी अधिकारी पर कोई संदेह होता है तो उसकी सेन्यकानूनों के तहत गुप्त जांच की जाती है पहली बार पुलिस अधिकारियो ने एक सेन्य अधिकारी को सार्वजानिक रूप से लांछित किया है | क्या यह भारत और भारत की सेना को मनोबल को तोड़ने की अन्तराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा है ?

क्या सोनिया गाँधी अन्तराष्ट्रीय ताकतों के इशारे पर महाराष्ट्र ATS के माध्यम से भारत की सेना के विरूद्ध यह घिनोना कार्य करवा रही है ?

क्या ‘भगवा आतंक’ हिंदुओं एवं मुस्लिमों को राजनीतिक रूप से समान करने का एक उन्मादी प्रयास है? जिसके लिये नैतिकता को ताक पर रख दिया गया है? इसके लिये बताये जाने वाले परिप्रेक्ष्य के मूल चित्र के साथ ही कुछ गडबड है ; मिलान के हर संभव प्रयास के उपरांत भी पहेली के टुकड़े एक दूसरे के साथ जुड़ते दिखाई नहीं देते, और ना ही यह इस ताले की चाबी है |

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