आशीष नंदी नें जो बयान दिया है उसके सन्दर्भ में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग सख्त हुआ है, जिसपर लेखकों नें कहना शुरू कर दिया है की बात ख़त्म करो सब ठीक हो गया है !
कितना मजा आता है किसी का अपमान करने में, खुद को छोड़ दुसरे की बेइज्जती करने में, उसे नीचा दिखाने में !
नंदी के बयान के बाद फेसबुक पर तमाम लोगों की टिप्पणी आईं, ठीक कहा नंदी नें, दो नेताओं के नाम बताये गए की इन्होनें भ्रष्टाचार किया है !
एक सौ बीस करोड़ आबादी है इस देश की जिसका बाईस प्रतिशत महज अनुसूचित जाति व् जनजाति समाज है जिनमें 95% मजदूर तबका है सर्वाधिक BPL है जो आज भी स्वीपर, चपरासी से अधिक सरकारी नौकरी की कल्पना नहीं कर सकता उसे भ्रष्ट कह रहा है यह बुद्धिजीवी वर्ग !
क्या महज पांच प्रतिशत लोग इस देश में भ्रष्टाचार कर रहे हैं न मालूम कौन सी कसौटी है आकलन करने की !
कितना आसान है निम्न वर्ग पर टिप्पणी करना यदि यही टिप्पणी इस वर्ग के अलावा किसी और पर कर दी होती तो वह किसी आयोग में गुहार नहीं लगाते बल्कि जला दी होती मोमबती नंदी जी तुम्हारे गेट पर !
ज्ञात रहे
दलित, आदिवासी एवं पिछड़ा वर्ग है सबसे भ्रष्ट - पॉलिटिकल साइकोलॉजिस्ट आशीष नंदी
डीएससी जयपुर साहित्य महोत्सव में शनिवार 26 जनवरी 2013 को समाजशास्त्री आशीष नंदी नें 'विचारों का गणराज्य' विषय पर आयोजित सत्र में कहा,
"यह अभद्र और असंस्कृत बयान होगा, लेकिन यह सच है कि सबसे भ्रष्ट व्यक्ति ओबीसी, एससी और अब बड़े पैमाने पर एसटी से आ रहे हैं और जब तक ऐसा होता रहेगा, भारतीय गणराज्य जिंदा रहेगा।"
उन्होंने कहा, "मैं एक उदाहरण देना चाहूंगा, सबसे कम भ्रष्ट राज्य पश्चिम बंगाल है पिछले 100 वर्षों में वहां ओबीसी, एससी, एसटी वर्ग के लोग सत्ता के नजदीक भी नहीं पहुंचे, यह पूरी तरह से स्वच्छ राज्य है।"
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