गृहमंत्री जी एवं महाराष्ट्र एटीएस जवाब दें दिलीप पाटीदार कहाँ है ?
मालेगांव में हुए बम धमाकों के बाद महाराष्ट्र एटीएस नें 11 नवम्बर 2008 को इंदौर से कई युवकों को हिरासत में लेकर पूछताछ की थी जिनमें खजराना थाना क्षेत्र का निवासी दिलीप पाटीदार भी था !
एटीएस का कहना था कि दिलीप मालेगांव ब्लॉस्ट का अहम गवाह है।
एटीएस ने अभी तक न तो उसकी गिरफ्तारी दिखाई है और न ही वह वापस लौट कर आया है !
आठ दिन तक तो दिलीप के फोन घर पर आते रहे और वह सिर्फ इतना कहता रहा कि वह ठीक है जल्दी ही लौट आएगा लेकिन 18 नवम्बर के बाद न तो दिलीप का फोन आया और न ही दिलीप को मालेगांव ब्लास्ट मामले में एटीएस ने आरोपी बनाया !
24 नवंबर 2008 दिलीप के नहीं लौटने पर उनके भाई रामस्वरूप ने एडवोकेट दीपक रावल के जरिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका इंदौर उच्च न्यायलय में दायर की।
1 दिसंबर 2008 कोर्ट ने मामले में मुंबई एटीएस और स्थानीय पुलिस को नोटिस जारी किए।
2 अप्रैल 2009 जस्टिस ए एम सप्रे व प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने इंदौर एसपी को एक महीने में मामले में रिपोर्ट पेश करने को कहा।
17 सितंबर 2009 कोर्ट ने कहा मुंबई एटीएस और इंदौर पुलिस मिलकर नहीं ढूंढ पाए तो एटीएस कमिश्नर को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में आना होगा।
5 नवंबर 2009 जस्टिस सप्रे और एस के सेठ की पीठ ने एटीएस और मप्र पुलिस की संयुक्त कमेटी गठित की ताकि दिलीप को ढूंढा जा सके।
10 दिसंबर 2009 जस्टिस एस एल कोचर और सेठ की पीठ के समक्ष एटीएस ने रिपोर्ट पेश की कि दिलीप की सिम से बात की गई है और वह जिंदा है। कोर्ट ने कहा दो महीने में अंतिम रिपोर्ट दी जाए।
29 जुलाई 2010 एडवोकेट रितु भार्गव ने जस्टिस कोचर व शुभदा वाघमारे की पीठ के समक्ष सीबीआई जांच की मांग रखी। कोर्ट ने नाराजगी जताई कि दोनों पक्षों की अड़चनों के कारण फैसला नहीं हो पा रहा, जबकि छह महीने में यह केस निपट जाना था।
17 अगस्त 2010 जस्टिस केमकर और प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने सहायक सोलिसिटर जनरल विवेक शरण के जरिए सीबीआई को नोटिस देकर पूछा कि क्या वह इस केस की जांच कर सकती है?
9 सितंबर 2010 सीबीआई ने कोर्ट को बताया हम भ्रष्टाचार के केस हाथ में लेते हैं, जबकि यह क्रिमिनल केस है। यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के आदेश पर हम केस में जांच करते हैं।
23 सितंबर 2010 सभी पक्षों की राय सुनने के बाद केस में फैसला सुरक्षित रखा गया।
1 अक्टूबर 2010 कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश जारी किए।
लेकिन सीबीआई न तो दिलीप की तलाश कर सकी और न ही उसके लापता या मृत होने के विषय में एटीएस के अधिकारियों की भूमिका या जिम्मेदारी तय कर सकी ! सीबीआई द्वारा यह दलील दी गई की एटीएस मुबंई जांच मे सहयोग नही कर रही है
जिसको न्यायालय ने नकारते हुए कहा कि सीबीआई दिलीप को ढूंढने के साथ यह भी बताए कि उसने एटीएस के खिलाफ क्या कार्यवाही की !
शाजापुर जिले के दुपाड़ा का निवासी दिलीप पाटीदार इंदौर में इलेक्ट्रिशियन का कार्य करता था और शांति विहार कॉलोनी के शिवनारायण कलसांगरा और रामजी कलसांगरा के मकान में पत्नी और एक बच्चे के साथ किराये पर रहता था।
मालेगांव ब्लास्ट में शिवनारायण मुंबई एटीएस की गिरफ्त में है, जबकि हैदराबाद की मक्का मस्जिद में 18 मई 2007 को हुए ब्लॉस्ट के आरोपी रामजी पर सीबीआई ने दस लाख का इनाम घोषित किया है।
लापता होने के कुछ दिन पहले ही दिलीप ने खजराना थाने में रिपोर्ट लिखवाई थी कि मुंबई एटीएस का एक दल चोरी से शिवनारायण के घर में घुसा और वहां रखे हथियार व अन्य सामान अपने साथ ले गया।
इसके बाद ही मुबंई एटीएस ने 10-11 नवंबर 2008 की रात में दिलीप को उठाया था।
शान्त प्रकाश जाटव
राष्ट्रीय प्रशिक्षण सह प्रभारी
भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा
राष्ट्रीय प्रशिक्षण सह प्रभारी
भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा
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