बजट २०११-१२ और अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिये कम आवंटन
भारत के वित्त मंत्री, श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा भारत का सामान्य बजट वर्ष 2011-12 दिनांक 28 फरवरी, 2011 को लोक सभा में प्रस्तुत किया गया,जिसमें प्रस्तावित व्यय रु. 12,57,729 करोड़ (रूपए 12 लाख 57 हजार 729 करोड़) रखा गया है, जो कि वर्ष 2010-11 के बजट अनुमान 13.4 प्रतिशत से अधिक है. वर्ष 2010-11 की तुलना में आयोजना व्यय 18.3 प्रतिशत की वृद्धि दिखाते हुए रु. 4,41,547 करोड़(रूपए 4 करोड़ 41 हजार 547 करोड़) तथा आयोजना भिन्न व्यय 10.9 प्रतिशत की वृद्धि दिखाते हुए रु. 8,16,182 करोड़(रूपए 8 लाख 16 हजार 182 करोड़)है. वर्ष 2011-12 के लिए कर- भिन्न राजस्व प्राप्तियां रु. 1,25,435 करोड़(रूपए 1 लाख 25हजार 435 करोड़) अनुमानित है. वर्ष 2011-12 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद 4.6 प्रतिशत के तौर पर रु. 4,12,817 करोड़(रूपए 4 लाख 12 हजार 817 करोड़) अनुमानित है.
देश के कुल आबादी की 24.4 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की है. इसमें 16.2 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति एवं 8.2 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जनजाति की है. इन वर्गों के सर्वांगीण विकास एवं कल्याण के लिए केन्द्र सरकार द्वारा वर्ष 1974 में एक विशेष योजना चलाई गई जिसे “जनजातीय घटक योजना” तथा वर्ष 1980 में अनुसूचित जाति के लिए विशेष घटक योजना बनाई गई, ताकि उनके सामाजिक और आर्थिक विकास की योजनाओं को समयबध्द तरीके से पूर्ण किया जा सके. सरकार की नीति के अनुसार देश की जनसंख्या के अनुपात में जो इन वर्गों की जनसंख्या है उसके बराबर बजट में प्रावधान किये जाने की बात कही गयी थी, परन्तु इन वर्गों के उत्थान के लिये जो बजट का प्रावधान आज भी किया जाता है वह उनकी जनसँख्या के आधार पर निर्धारित नहीं किया जा रहा है.
केन्द्रीय बजट वर्ष 2011-12 में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिये कुल बजट का 4.03 प्रतिशत ही आवंटित किया गया है. इस वर्ष केन्द्रिय बजट में अनुसूचित जाति के उत्थान के लिये रु.30 हजार 551 करोड तथा अनुसूचित जनजाति के उत्थान के लिये रु 17 हजार 371 करोड़ का प्रावधान किया गया है यद्यपि इस वर्ष गत वर्ष की अपेक्षा बजट में अनुसूचित जाति के लिये रु 9 हजार 927 करोड़ तथा अनुसूचित जनजाति के लिये रु 5 हजार 625 करोड़ अधिक दिए गए हैं. तथापि ये 24.4 प्रतिशत की तुलना में केवल मात्र 4.3 प्रतिशत है, जो कि बहुत कम है.
इस वर्ष जनसँख्या के अनुपात में बजट का आवंटन केन्द्रीय नीति के अनुसार किया जाना हो, तो अनुसूचित जाति उप योजना (SCSP) के अंतर्गत रु 55 हजार 121 करोड़ यानि 16.2 प्रतिशत होना चाहिय था. और इसी प्रकार अनुसूचित जनजाति के लिये रु 27 हजार 900 करोड़ होना चाहिय था.
अभी तक केंद्र सरकार ने इन वर्गों के लिये केवल मात्र 24 विभाग ही ऐसे छांटे गए हैं जिनमें अनुसूचित जातियों के उत्थान हेतु योजनाओं के अधीन धनराशी का प्रावधान किया जाता है तथा अनुसूचित जनजाति के लिये केवल 26 विभाग ही चयनित किये गए हैं, जिनमे उनके कल्याणकारी योजनाओं हेतु धन आवंटित किया जाता है जब कि केन्द्र सरकार के कुल 104 विभाग हैं जिनमे इन वर्गों के उत्थान एवं कल्याणकारी योजनाओं हेतु धन का प्रावधान किया जाना चाहिय. इनमे से इन वर्गों के आर्थिक विकास हेतु आधारभूत ढांचे, उद्योग विभाग, खान, कोयला, इस्पात एवं परमाणु शक्ति आदि ऐसे विभाग हैं, इनमे इन वर्गों के लिये कोई प्रावधान नहीं किया जाता है.
वर्त्तमान युग के बदलते सन्दर्भों में जब हम 21 वीं सदी में प्रवेश कर चुके हैं और सूचना एवं संचार क्रांति से गुजर रहे हैं, तब इन महत्वपूर्ण विभागों में अग्रणी भूमिका निभाने से इन वर्गों को वंचित होना पड़ा है.
एक तरफ तो जहाँ सरकार कि नीति है कि इन वर्गों को समाज व देश कि मुख्या धारा से जोड़ना है, परन्तु वहीँ दूसरी ओर ऐसे महत्वपूर्ण विभागों में उनके कल्याण हेतु योजनाओं में धन का प्रावधान ना करके उन्हें मुख्या धरा में आने से रोका जा रहा है. यद्यपि अनुसूचित जाति एवं जनजाति के विकास कि योजनाओं में गत वर्ष कि अपेक्षा इस वर्ष के बहजत में वृद्धि कि गयी है तथापि वहीँ कुछ मदों में कमी कि गयी है. वे मद निम्न प्रकार हैं:
1. Indira Awas Yojna IAY has reduced from Rs. 6000 Cr. to Rs.3530 Cr.
2. Rajiv Gandhi national Fellowships has decrease from Rs.159 Cr. to Rs. 123 Cr.
3. Pradhan mantra Adarsh Gram Yojna has decrease from Rs. 388 Cr. to Rs. 97 Cr.
4. Decrease in Immunisation from Rs. 245 Cr to Rs. 188 Cr.
5. Decrese in the Adult Education & Skill Development Schemes from Rs.189 Cr. to Rs. 97 Cr.
6. In MSME Credit Support Programme has reduced from Rs. 86 Cr. to Rs. 6 Cr.
7. Rural Development SGSY has reduced from Rs. 1492 Cr. to Rs. 845 Cr.
8. Nehru Yuva Kendra Sangthan has reduced from Rs. 57.40 Cr. to Rs. 18.10 Cr.
9. National youth Service Scheme has reduced from Rs. 53.20 Cr. to Rs.15.36 Cr.
10. National Youth Core has rduced from Rs.36.58 Cr. to Rs. 9.40 Cr.
11. National Programme for youth and adolsent Development has reduced from Rs. 15.58 Cr. to Rs. 4.05 Cr.
12. Integrated Handloom Schemes has reduced to Rs. 20 Cr. Integrated Child Development Schemes from Rs. 2349 Cr. to Rs. 2300 Cr.
यद्यपि इन वर्गों के सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान के लिए विभिन्न योजनाएं बनाई गई है तथापि उन्हें पूरी तरह क्रियान्वित नहीं करने के कारण तथा बजट प्रावधनों के अनुसार आबंटित धनराशि को सम्पूर्ण रूप से व्यय न करने के कारण आज तक इन वर्गों का कल्याण एवं उत्थान नहीं हो सका है. जब तक सरकार इन वर्गों के कल्याण हेतु विभिन्न विभागों द्वारा चलाई जा रही है योजनाओं हेतु आबंटित धनराशि को पूर्ण रूप से तथा ईमनदारी से व्यय करने तथा जिन विभागों द्वारा ऐसा न किया जाए अथवा जो विभाग इसमें विफल रहें, उन्हें दंडित करने कि नीति नहीं अपनाएगी तब तक इन वर्गों का कल्याण नहीं हो सकेगा.
यदि हम गत 60 वर्षों का लेखा जोखा देखे और इन वर्गों के उत्थान के लिए बनाई गई योजनाओं एवं कार्यक्रमों का गहराई तथा सूक्ष्म तरीके से विश्लेषण करें, तो यह मालूम हो जायगा कि इन योजनाओं को कार्यान्वित करने वाली संस्थाओं ने ईमानदारी से पूरी तरह धन व्यय नहीं किया है. यही कारण है कि जिस गति से इन वर्गों का उत्थान होना चाहिए, वह नहीं हो पाया है.
यदि भारत सरकार वास्तव में इन वर्गों को समाज और राष्ट्र कि मुख्य धारा में सम्मिलित करना चाहती है, तो उसे चाहिए कि वः इनके कल्याण के लिए जो नीतियां बनाई जाति है. उन्हें सख्ती से लागू करे तथा राष्ट्रीय स्तर पर केन्द्रीय बजट में व प्रान्तीय स्तर पर हर प्रदेश के बजट में इनकी जनसंख्या के प्रतिशत के आधार पर धन आबंटित करना तथा आबंटित धन को इनके उपर पूर्णरूपेण खर्च करना सुनिश्चित करे.
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