प्रतिष्ठा में,
परम् पूजनीय सर संघचालक जी,
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ कार्यालय
नागपुर, महाराष्ट्र
नमस्कार,
विषय - भाजपा में अनुसूचित जाति मोर्चा क्यों ?
सन् 1945-46 के दौरान मेरे ताऊ मेरे पिता को अपने कन्धे पर बैठा कर शाखा जाते थे यह बात अक्सर मेरे 72 वर्षीय पिता श्री सूरज पाल जी बताते हैं। मेरे पिता वर्ष 2002 में CPWD से बतौर Superintendent Engineer सेवा निवृत हुए हैं वह बताते हैं की हमने कभी कोई जातीय भेदभाव शाखा या स्वयं सेवकों में नहीं देखा। मैं स्वयं भी प्रथम वर्ष शिक्षित स्वयं सेवक हूँ मैंने भी आजतक कोई जातीय भेदभाव किसी स्वयं सेवक या शाखा पर नहीं देखा या महसूस किया।
डॉ भीम राव अंबेडकर भी 1939 में पूना शिविर में गए वहां स्वयंसेवकों में पूर्ण बराबरी और आपसी भाईचारे का व्यवहार देखकर चकित हुए उन्होंने देखा की किसी को एक दुसरे से जाति पूछने की इच्छा तक नहीं थी।
मैं यह पत्र आपको इसलिए लिख रहा हूँ की जब संघ में जातीय आधार पर कि अमुक शाखा अनुसूचित जाति या जन जाति वर्ग के लिए अलग जैसी व्यवस्था नहीं है तो भारतीय जनता पार्टी में अनुसूचित जाति मोर्चा का होना कथनी और करनी में फर्क का बोध कराता है। विघटन, विभाजन या मतभेद उत्पन्न कर राजनीति करना कांग्रेस या वामपंथियों की विचारधारा तो हो सकती है पर संघ और भारतीय जनता पार्टी की तो कतई नहीं।
मेरा आपसे विनम्रता पूर्वक आग्रह है की अनुसूचित जाति मोर्चा को सम्मान के साथ अन्य कोई विकल्प जिसमें सभी जातियों का सम्मिश्रण हो एवम् विशेष वर्ग पर केंद्रित न हो में तब्दील कराने का कष्ट करें।
आदर सहित
आपका
शान्त प्रकाश जाटव
279, ज्ञान खण्ड-1, इंदिरापुरम, गाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश
दिनांक - 31 दिसम्बर 2014
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