Friday, February 13, 2015

2015 विधानसभा चुनाव दिल्ली में AAP की जीत का पड़ सकता है 2017 विधान सभा उत्तर प्रदेश चुनाव पर प्रभाव

प्रतिष्ठा में,

आदरणीय श्रीमान अमित शाह जी
राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी
11, अशोक रोड, नई दिल्ली

विषय - 2015 विधानसभा चुनाव दिल्ली में AAP की जीत का पड़ सकता है 2017 विधान सभा उत्तर प्रदेश चुनाव पर प्रभाव।

महोदय

वर्ष 2008 दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रमुख दलों कांग्रेस, भाजपा व् बसपा का मत क्रमशः 40.31, 36.84 व् 14.05 प्रतिशत था। वर्ष 2013 दिल्ली विधानसभा चुनाव में AAP का अवतरण हुआ जिसमें उसने भाजपा के 3.77, कांग्रेस के 15.76 व् बसपा के 8.70 प्रतिशत मतों में सेंध लगाकर 29.49 प्रतिशत मत प्राप्त किये।

ठीक एक वर्ष बाद वर्ष 2015 दिल्ली विधानसभा चुनाव में 49 दिन की भगोड़ी सरकार का आरोप लेकर दुबारा चुनाव में उतरी AAP नें भाजपा के 0.75, कांग्रेस के 15.85 व् बसपा के 4.05 प्रतिशत मतों में पुनः सेंध लगाकर 54.30 प्रतिशत मत प्राप्त कर अन्य दलों को सदन से बाहर रहने को मजबूर कर दिया।

चूँकि उत्तर प्रदेश 2017 विधानसभा चुनाव आगे प्रमुख है अतः कुछ विश्लेषण जिन्हें समझना ठीक होगा।

वर्ष 2007 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रमुख दलों बसपा, सपा, भाजपा व् कांग्रेस के मत क्रमशः 30.43, 25.43, 16.97 व् 8.61 प्रतिशत थे। वहीँ 2012 विधानसभा चुनाव में सपा नें 30 प्रतिशत मत प्राप्त कर सरकार बनाई बसपा 26 प्रतिशत मतों के साथ दुसरे नम्बर पर भाजपा और कांग्रेस को 15 व् 14 प्रतिशत मत प्राप्त कर संन्तुष्ट होना पड़ा।

भाजपा नें उत्तर प्रदेश में 1991, 1993, 1996, 2002, 2007 व् 2012 में क्रमशः 221, 177, 174, 88, 51 व् 47 सीटें जीतीं, इनमें आरक्षित सीट क्रमशः 61, 37, 19, 12, 7 व् 3 रही हैं। 2007 में बसपा नें कुल 206 जिनमें आरक्षित 62 और 2012 में सपा नें कुल 224 जिनमें 56 आरक्षित सीटें प्राप्तकर सरकार बनाई है।

उक्त तमाम दिल्ली व् उत्तर प्रदेश के आंकड़ों के आधार पर हम इस बात को नहीं नकार सकते की AAP की भी उपस्थिति होने पर कांग्रेस का 10 प्रतिशत, बसपा का 15 प्रतिशत, सपा का 8 प्रतिशत व् अन्य का 15 प्रतिशत विचलित व् AAP से प्रभावित कुल 48 प्रतिशत मतदाता उत्तर प्रदेश में एक नई इबादत लिख दे।

यहाँ यह कहना कि मुफ़्त की घोषणाओं नें AAP को जिताया है पूर्ण सत्य नहीं है तमाम युवाओं से बात करने पर बदलाव के कारणों में "बहुत हुआ पुराना, आया नए का जमाना" कह कर हुआ परिवर्तन भी समझ आता है।

समय रहते आगामी विधानसभा चुनाव उत्तर प्रदेश 2017 को ध्यान में रखते हुए उक्त आंकड़ों को भी ध्यान में रखकर योजनाओं को बनाना ठीक होगा वर्तमान दिल्ली के परिणामों से आँख मूंदना भी नुकसानदायक हो सकता है।

पत्र मेरे द्वारा किये गए व्यक्तिगत चुनावी विश्लेषण के आधार पर आपके समक्ष प्रस्तुत है।

आपका

शान्त प्रकाश जाटव
पूर्व राष्ट्रीय प्रशिक्षण प्रभारी, अनुसूचित जाति मोर्चा, भाजपा
279, ज्ञान खण्ड - 1, इंदिरापुरम गाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश
मोबाइल - 09871952799, दिनांक - 12 फ़रवरी 2015

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