हिंदुओं के एक वर्ग को षड्यंत्र स्वरूप वामपंथियों द्वारा अछूत कहा गया
एकनाथ, तुकाराम, रविदास जैसे अनेकों हिन्दू संत हुए जिन्हें षड्यंत्र के तहत अछूत कहा गया।
वेद आधारित आर्यसमाज में अनेक ब्राम्हण पुरोहित हुए हैं, जिनके पैर सभी हिन्दू छूते हैं जिन्हें षड्यंत्र के तहत अछूत कहा गया।
अनेक मंदिरों के ऐसे पुरोहित हैं, जिनसे सभी हिन्दू आशीर्वाद लेते हैं, जिन्हें षड्यंत्र के तहत अछूत कहा गया।
हमारे यहाँ अनकोें राजा हुए हैं, जिनकी आधीनता सभी हिन्दुओं को स्वीकार्य थी, जिन्हें षड्यंत्र के तहत अछूत कहा गया।
पुराने काल की बात करें तो
रामायण लिखने वाले महृषि वाल्मिकी, भगवान राम के भी पूज्य थे, जो लव - कुश के गुरु थे, आज भी पूज्य हैं,
महाभारत के लेखक वेदव्यास सबके पूज्य थे, आज भी पूज्य हैं,
भगवान बुद्ध, विष्णु भगवान के दसवें अवतार हैं,
उपरोक्त सभी को षड्यंत्र के तहत अछूत कहा गया।
जबकि, एक हजार वर्ष भारत के शासक हिन्दू नहीं मुस्लिम थे,
दो सौ वर्ष भारत के शासक हिन्दू नहीं ईसाई थे,
1947 से अब तक, सेक्युलर व अछूतों के छद्म शुभचिन्तक बुद्धिजीवियों/ वामपंथियों/ समाजवादियों का शासन रहा है जिन्होनें खुद को अछूतों/ मजदूराें / किसानों का हमदर्द बताया, आप खुद तय करें अछूतों का असली शत्रु कौन है ?
छद्म दलित मायावती चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं, समाज को गुमराही के सिवा क्या मिला किसका कितना उत्थान हुआ ?
हजारों - करोड़ का लेदर इण्डस्ट्री को उनके मूल मालिकों से कैसे, किसने चालाकी से छीना ?
सीवेज ट्रीटमेण्ट की परिपाटी उनसे जबरन किसने करवाई ?
हरमों का अपशिष्ट जबरन किसने सिर पर उठवाया ?
पाकिस्तान व बांग्लादेश के अछूतों का, किसने सफाया किया ?
जरा ठण्ढ़े दिमाग से सोचिये
आरक्षण व्यवस्था ने, क्या सब अछूतों को नौकरी दे दी ?
भीम के संविधान ने, क्या सभी अछूतों का उत्थान कर दिया ?
आज अछूतों के उत्थान न होने का जिम्मेवार अछूत स्वयं हैं।
क्योंकि अछूत उनके पीछे चलते हैं जो ईसाई और मुस्लिम देशों से पैसा लेकर इनको गुमराह करते हैं हिन्दुओं को शत्रु बताते हैं और दलित - मुस्लिम का गठजोड़ बनाते हैं।
सावधान कहीं उत्थान के बजाए सफाया न हो जाए ?
क्योंकि कश्मीर से केवल पंडित हीं नहीं अछूत भी साफ हो गए।
शान्त प्रकाश जाटव
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