प्रतिष्ठा में
आदरणीय श्री अमित शाह जी
राष्ट्रीय अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी
राष्ट्रीय अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी
विषय - अनुसूचित जाति वर्ग सभी पार्टियों के रडार पर लोकसभा चुनाव 2019
मान्यवर,
लोकसभा चुनाव 2014 में अनुसूचित जाति समाज ने लगभग 65% वोट भारतीय जनता पार्टी को देकर सरकार बनवाने में सहयोग दिया था। मोदी सरकार ने भी विगत 4 वर्षों में इस वर्ग के उत्थान के लिए तमाम योजनाएं घोषित कीं, जिनमें जन-धन योजना, बीमा योजना, दुर्घटना बीमा योजना, उज्जवला योजना, स्टार्टअप योजना आदि तमाम योजनाओं का सीधा-सीधा लाभ इस वर्ग को मिला। लेकिन इस सबके बावजूद आज यह वर्ग भारतीय जनता पार्टी को पेट पकड़कर कोस रहा है। साफगोई से अगर कहा जाए तो लगता नहीं कि यह 5% वर्ग भी भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में वोट देने वाला है। यह कटु सत्य है और इससे आंख मूंदना भविष्य के लिए ठीक नहीं होगा।
महोदय पिछले 4 वर्षों का यदि अवलोकन करें तो हम देखते हैं, कि अनुसूचित जाति वर्ग वामपंथियों और बामसेफ के हाथों में बुरी तरीके से फंस गया है। उनके द्वारा फैलाई जा रही अफवाहों और झूठी बातों को वह सच मानते हुए अपना मूलमंत्र बनाकर अपनी सोच को उनके साथ मिलाकर चल रहा है।
अंबेडकर जन्म भूमि, अंबेडकर दीक्षा भूमि, अंबेडकर परिनिर्वाण भूमि, अंबेडकर चैत्यभूमि, अंबेडकर लाइब्रेरी, इंग्लैंड में अंबेडकर जहां रुके वह स्थान खरीद कर लोकार्पित करना, अंबेडकर सिक्का के अतिरिक्त तमाम अनुसूचित जाति वर्ग के नागरिकों के पूजनीय महापुरुषों का सम्मान, उनके नाम पर स्मारक उनके नाम पर सड़कों के नाम उनके नाम पर पार्कों के नाम हर प्रकार का सम्मान भारतीय जनता पार्टी ने इस वर्ग को दिया है। यही नहीं अनुसूचित जाति वर्ग से देश का राष्ट्रपति बनाने का कार्य भी भारतीय जनता पार्टी ने किया है।
आरक्षण के विषय पर चाहे संविधान संशोधन की बात हो या प्रोन्नति में आरक्षण के मुद्दे की भारतीय जनता पार्टी ने हर स्थान पर आगे बढ़कर सहयोग किया। संविधान में अनुच्छेद 81, 82, 84, 86 और 89 संशोधन करके लाभ देने का कार्य किया।
लेकिन हमने देखा कि वामपंथियों ने किस प्रकार रोहित वेमुला को जो सामान्य वर्ग से था, अनुसूचित जाति का कहकर इस वर्ग के बीच में हीरो बनाकर पेश किया। ऊना की घटना, जिसको एक कांग्रेसी नेता द्वारा अंजाम दिया गया उसको अनुसूचित जाति उत्पीड़न के रूप में पेश कर समाज में दुर्भावना फैलाने का कार्य किया। सहारनपुर के शब्बीरपुर में महाराणा प्रताप जयंती पर शोभायात्रा में दो क्षत्रिय समाज के व्यक्तियों की हत्या अनुसूचित जाति के लोगों के बीच वामपंथियों ने घुसकर की और समाज में अनुसूचित जाति उत्पीड़न का झूठ भ्रष्ट मीडिया के माध्यम से फैलाने में कामयाब हुए। सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति एक्ट के संदर्भ में की गई टिप्पणी पर 2 अप्रैल 2018 को पूरे देश में अराजक तांडव किया, जिससे समाज में भयानक रूप से असहजता और दुर्भावना का वातावरण पैदा हो गया है।
लेकिन हैरानी की बात है, कि भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जाति मोर्चे के नेताओं, सांसदों, मंत्रियों, विधायकों की इन तमाम घटनाओं पर समाज में स्पष्टीकरण देने की बजाय चुप्पी साधे बैठने ने पार्टी का सबसे बड़ा नुकसान कर दिया। अनुसूचित जाति वर्ग के नेताओं की चुप्पी ने समाज के बीच में मरहम लगाने की जगह दूरियां पैदा करने का कार्य किया। इन स्वयंभू नेताओं की अकर्मण्यता के चलते विपक्षियों द्वारा उड़ाई झूठ की आंधी के आगे मोदी सरकार द्वारा अनुसूचित जाति हित में किए गए रचनात्मक कार्य भी धूल में खो गए हैं।
लेनिन और मार्क्स को पूजने वाले वामपंथियों ने अपने कमरों में अंबेडकर को स्थापित कर दिया है। आज वह लाल झंडा छोड़ नीला झंडा थाम अंबेडकरवाद की कमान संभाले हुए हैं। आज उनके नारे जय भीम जय भीम जय जय जय जय भीम हो चुके हैं।
वामपंथियों का असर है, कि इनके सोशल साइट्स के ग्रुपों पर यदि नजर दौड़ाई जाए तो वह कट्टर हिंदू विरोधी, समाज विरोधी और झूठ का पुलिंदा लेकर समाज में अराजकता पैदा करने व नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं।
यह सोचने का विषय है मान्यवर कि एक समय था जब हिंदू मुस्लिम विवाद होने पर अनुसूचित जाति वर्ग सबसे आगे मुसलमानों से संघर्ष करता दिखाई देता था, आज वही मुसलमानों के साथ मिल हिंदू भाइयों के खिलाफ साजिश रचता दिखाई दे रहा है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में अनुसूचित जाति वर्ग को आरक्षण मिलने के विषय पर भाजपा कार्यकर्ता ही संघर्ष करते दिखाई दिए। अनुसूचित जाति वर्ग जो बामसेफ और वामपंथियों के हाथ में खेल रहा है, मुंह बंद करके बैठा रहा। उसकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं देखने को मिली। वह मुसलमानों के साथ जय भीम जय मीम के घोष के साथ भाईचारा निभाता दिखाई दे रहा है। इस भाईचारगी का आलम देखिए कि मुसलमानों द्वारा अनुसूचित जाति के युवकों की हत्या व महिलाओं से बलात्कार की घटनाओं पर भी अनुसूचित जाति वर्ग मौन बैठा रहता है। वह मौका देखता है, कि किसी घटना में कोई सामान्य वर्ग का हिंदू लिप्त हो तो देश में अराजक तांडव किया जाए।
भाजपा व संघ के तमाम प्रकल्पों द्वारा सामाजिक समरसता पर विगत 4 वर्षों में हजारों कार्यक्रम आयोजित किए गए, लेकिन वामपंथी व बामसेफ के झूठ व अफवाहों ने उन तमाम कार्यों पर पलीता लगाने का काम किया है।
लेकिन इन सबके बीच सबसे बड़ी कमी हमारे अनूसचित जाति वर्ग के जनप्रतिनिधियों की रही है, जिसने इस जख्म को नासूर बना दिया है। भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के नेताओं, सांसद व विधायक, जिनमें ज्यादातर या तो दूसरे दलों से आए हैं या मोदी लहर में पहली ही दफा में जीत का मुकुट पहना है, ऐसे तमाम लोग इस वामपंथी झूठ का विरोध करने में पूरी तरह नाकारा साबित हुए हैं। शायद यह सोचकर कि कहीं वोट बैंक नाराज ना हो जाए। परिणामस्वरुप झूठ व अफवाहों की जीत होने लगी और आज परिणाम हमारे सामने है।
हमारे तमाम अनुसूचित जाति के नेता, पदाधिकारी, सांसद और विधायक सत्ता की ठनक में संगठन और समाज की आवाज को इतना भूल गए कि इन्होंने 4 साल समाज के बीच जाकर काम करने की कोशिश ही नहीं की।
मान्यवर, आयातित नेता सरकार बनाने में तो सहयोग कर सकते हैं, मगर संगठन मजबूत करने का कार्य कैडर ही कर सकता है। जिस पर संभवत: उचित ध्यान देने की आवश्यकता है।
2019 लोकसभा चुनाव नजदीक है। सटीक और निर्भीक योजनाएं सकारात्मक परिणाम देंगी और हम पुन: सरकार बनाएंगे इसी आशा के साथ
लोकसभा चुनाव 2014 में अनुसूचित जाति समाज ने लगभग 65% वोट भारतीय जनता पार्टी को देकर सरकार बनवाने में सहयोग दिया था। मोदी सरकार ने भी विगत 4 वर्षों में इस वर्ग के उत्थान के लिए तमाम योजनाएं घोषित कीं, जिनमें जन-धन योजना, बीमा योजना, दुर्घटना बीमा योजना, उज्जवला योजना, स्टार्टअप योजना आदि तमाम योजनाओं का सीधा-सीधा लाभ इस वर्ग को मिला। लेकिन इस सबके बावजूद आज यह वर्ग भारतीय जनता पार्टी को पेट पकड़कर कोस रहा है। साफगोई से अगर कहा जाए तो लगता नहीं कि यह 5% वर्ग भी भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में वोट देने वाला है। यह कटु सत्य है और इससे आंख मूंदना भविष्य के लिए ठीक नहीं होगा।
महोदय पिछले 4 वर्षों का यदि अवलोकन करें तो हम देखते हैं, कि अनुसूचित जाति वर्ग वामपंथियों और बामसेफ के हाथों में बुरी तरीके से फंस गया है। उनके द्वारा फैलाई जा रही अफवाहों और झूठी बातों को वह सच मानते हुए अपना मूलमंत्र बनाकर अपनी सोच को उनके साथ मिलाकर चल रहा है।
अंबेडकर जन्म भूमि, अंबेडकर दीक्षा भूमि, अंबेडकर परिनिर्वाण भूमि, अंबेडकर चैत्यभूमि, अंबेडकर लाइब्रेरी, इंग्लैंड में अंबेडकर जहां रुके वह स्थान खरीद कर लोकार्पित करना, अंबेडकर सिक्का के अतिरिक्त तमाम अनुसूचित जाति वर्ग के नागरिकों के पूजनीय महापुरुषों का सम्मान, उनके नाम पर स्मारक उनके नाम पर सड़कों के नाम उनके नाम पर पार्कों के नाम हर प्रकार का सम्मान भारतीय जनता पार्टी ने इस वर्ग को दिया है। यही नहीं अनुसूचित जाति वर्ग से देश का राष्ट्रपति बनाने का कार्य भी भारतीय जनता पार्टी ने किया है।
आरक्षण के विषय पर चाहे संविधान संशोधन की बात हो या प्रोन्नति में आरक्षण के मुद्दे की भारतीय जनता पार्टी ने हर स्थान पर आगे बढ़कर सहयोग किया। संविधान में अनुच्छेद 81, 82, 84, 86 और 89 संशोधन करके लाभ देने का कार्य किया।
लेकिन हमने देखा कि वामपंथियों ने किस प्रकार रोहित वेमुला को जो सामान्य वर्ग से था, अनुसूचित जाति का कहकर इस वर्ग के बीच में हीरो बनाकर पेश किया। ऊना की घटना, जिसको एक कांग्रेसी नेता द्वारा अंजाम दिया गया उसको अनुसूचित जाति उत्पीड़न के रूप में पेश कर समाज में दुर्भावना फैलाने का कार्य किया। सहारनपुर के शब्बीरपुर में महाराणा प्रताप जयंती पर शोभायात्रा में दो क्षत्रिय समाज के व्यक्तियों की हत्या अनुसूचित जाति के लोगों के बीच वामपंथियों ने घुसकर की और समाज में अनुसूचित जाति उत्पीड़न का झूठ भ्रष्ट मीडिया के माध्यम से फैलाने में कामयाब हुए। सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति एक्ट के संदर्भ में की गई टिप्पणी पर 2 अप्रैल 2018 को पूरे देश में अराजक तांडव किया, जिससे समाज में भयानक रूप से असहजता और दुर्भावना का वातावरण पैदा हो गया है।
लेकिन हैरानी की बात है, कि भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जाति मोर्चे के नेताओं, सांसदों, मंत्रियों, विधायकों की इन तमाम घटनाओं पर समाज में स्पष्टीकरण देने की बजाय चुप्पी साधे बैठने ने पार्टी का सबसे बड़ा नुकसान कर दिया। अनुसूचित जाति वर्ग के नेताओं की चुप्पी ने समाज के बीच में मरहम लगाने की जगह दूरियां पैदा करने का कार्य किया। इन स्वयंभू नेताओं की अकर्मण्यता के चलते विपक्षियों द्वारा उड़ाई झूठ की आंधी के आगे मोदी सरकार द्वारा अनुसूचित जाति हित में किए गए रचनात्मक कार्य भी धूल में खो गए हैं।
लेनिन और मार्क्स को पूजने वाले वामपंथियों ने अपने कमरों में अंबेडकर को स्थापित कर दिया है। आज वह लाल झंडा छोड़ नीला झंडा थाम अंबेडकरवाद की कमान संभाले हुए हैं। आज उनके नारे जय भीम जय भीम जय जय जय जय भीम हो चुके हैं।
वामपंथियों का असर है, कि इनके सोशल साइट्स के ग्रुपों पर यदि नजर दौड़ाई जाए तो वह कट्टर हिंदू विरोधी, समाज विरोधी और झूठ का पुलिंदा लेकर समाज में अराजकता पैदा करने व नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं।
यह सोचने का विषय है मान्यवर कि एक समय था जब हिंदू मुस्लिम विवाद होने पर अनुसूचित जाति वर्ग सबसे आगे मुसलमानों से संघर्ष करता दिखाई देता था, आज वही मुसलमानों के साथ मिल हिंदू भाइयों के खिलाफ साजिश रचता दिखाई दे रहा है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में अनुसूचित जाति वर्ग को आरक्षण मिलने के विषय पर भाजपा कार्यकर्ता ही संघर्ष करते दिखाई दिए। अनुसूचित जाति वर्ग जो बामसेफ और वामपंथियों के हाथ में खेल रहा है, मुंह बंद करके बैठा रहा। उसकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं देखने को मिली। वह मुसलमानों के साथ जय भीम जय मीम के घोष के साथ भाईचारा निभाता दिखाई दे रहा है। इस भाईचारगी का आलम देखिए कि मुसलमानों द्वारा अनुसूचित जाति के युवकों की हत्या व महिलाओं से बलात्कार की घटनाओं पर भी अनुसूचित जाति वर्ग मौन बैठा रहता है। वह मौका देखता है, कि किसी घटना में कोई सामान्य वर्ग का हिंदू लिप्त हो तो देश में अराजक तांडव किया जाए।
भाजपा व संघ के तमाम प्रकल्पों द्वारा सामाजिक समरसता पर विगत 4 वर्षों में हजारों कार्यक्रम आयोजित किए गए, लेकिन वामपंथी व बामसेफ के झूठ व अफवाहों ने उन तमाम कार्यों पर पलीता लगाने का काम किया है।
लेकिन इन सबके बीच सबसे बड़ी कमी हमारे अनूसचित जाति वर्ग के जनप्रतिनिधियों की रही है, जिसने इस जख्म को नासूर बना दिया है। भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के नेताओं, सांसद व विधायक, जिनमें ज्यादातर या तो दूसरे दलों से आए हैं या मोदी लहर में पहली ही दफा में जीत का मुकुट पहना है, ऐसे तमाम लोग इस वामपंथी झूठ का विरोध करने में पूरी तरह नाकारा साबित हुए हैं। शायद यह सोचकर कि कहीं वोट बैंक नाराज ना हो जाए। परिणामस्वरुप झूठ व अफवाहों की जीत होने लगी और आज परिणाम हमारे सामने है।
हमारे तमाम अनुसूचित जाति के नेता, पदाधिकारी, सांसद और विधायक सत्ता की ठनक में संगठन और समाज की आवाज को इतना भूल गए कि इन्होंने 4 साल समाज के बीच जाकर काम करने की कोशिश ही नहीं की।
मान्यवर, आयातित नेता सरकार बनाने में तो सहयोग कर सकते हैं, मगर संगठन मजबूत करने का कार्य कैडर ही कर सकता है। जिस पर संभवत: उचित ध्यान देने की आवश्यकता है।
2019 लोकसभा चुनाव नजदीक है। सटीक और निर्भीक योजनाएं सकारात्मक परिणाम देंगी और हम पुन: सरकार बनाएंगे इसी आशा के साथ
आपका
शांत प्रकाश जाटव
दिनांक 8 जुलाई 2018
दिनांक 8 जुलाई 2018
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