चमार रेजीमेंट के महत्व को कम करने का प्रयास करने वाले मूर्ख वामपंथी साहित्यकारों को सही अध्ययन की जरूरत- शांत प्रकाश जाटव
August 11, 2019
संदीप त्यागी.
नई दिल्ली. 10 अगस्त. इतिहास के साथ हमेशा छल-छदम की रीति-नीति का प्रयोग करने वाले वामपंथी साहित्यकार अब गौरवशाली चमार रेजीमेंट के तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करके अपनी कुत्सित मानसिकता का परिचय दे रहे हैं. वरिष्ठ भाजपा नेता तथा चमार रेजीमेंट बहाली के लिए आंदोलन चला रहे शांत प्रकाश जाटव ने वामपंथी साहित्यकारों पर चमार रेजीमेंट से जुड़े तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाते हुए कहा कि समाज में आई जागृति के बाद अब वामपंथी साहित्यकार चमार
Shant Prakash Jatav, President Chamar Resigiment Forum
रेजीमेंट की महत्ता को कम करने का दुष्प्रयास कर रहे हैं. जाटव ने कहा कि चमार रेजीमेंट के गठन का समय 1 मार्च 1943 बताने वाले मूर्ख वामपंथी साहित्यकारों को कम से कम डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर द्वारा दलित वर्गों संबंधी भारतीय मताधिकार कमेटी (लोथियन कमेटी) में 1 मार्च 1932 को दी गई रिपोर्ट को पढ़ लेना चाहिए जिसमें डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर ने स्पष्ट कहा है कि ‘आगरा जिले के टुंडला नगर में मैंने जायसवारों की पूरी बस्ती देखी जहां जांच करने पर पता चला कि वे चमार रेजीमेंट के उन साईसों के वंशज थे, जो वहां आकर बस गए’. जिससे साफ है कि अगर 1932 में डॉ. अंबेडकर चमार रेजीमेंट के वंशजों को खोज कर रहे थे, तो वर्ष 1943 में चमार रेजीमेंट का गठन बताने वाले वामपंथी साहित्यकारों को सही तरह से अध्ययन करने की जरूरत है. जाटव ने कहा कि चमार समाज के लोगों को भी वामपंथी साहित्यकारों के इस झांसे में नहीं आना चाहिए कि चमार रेजीमेंट का कार्यकाल सिर्फ तीन वर्ष का ही रहा था, जैसा कि वामपंथी साहित्यकार दुष्प्रचार कर रहे हैं. और इस दुष्प्रचार के झांसे में आकर हाल ही चमार रेजीमेंट का स्थापना
(लोथियन कमेटी रिपोर्ट में दर्ज की गई डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर की टिप्पणी)
दिवस मनाने की शुरूआत हुई है. जाटव ने कहा कि वामपंथी साहित्यकार इसलिए इस रेजीमेंट का महत्व कम करने की मुहिम में जुटे हैं, क्योंकि चमार रेजीमेंट के वीर सिपाहियों ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज के साथ मिलकर अंग्रेजों को धूल चटाने का काम किया था, जिन्हें वामपंथी अपना पितामह मानते हैं. यह भी पढ़ें : जाटव नहीं हैं चमार, यादव और राजपूत जातियों से कन्वर्टेड है जाटव समाज, 1935 में प्रकाशित अनुसूचित जातियों की सूची में जाटव जाति का कोई उल्लेख नहीं- शांत प्रकाश जाटव शांत प्रकाश ने समाज को भी आगाह करते हुए कहा कि चमार रेजीमेंट बहाली फोरम के गठन के बाद से समाज में अपने इतिहास को लेकर जो जागृति आई है, उससे वामपंथी साहित्यकार और समाज के ही कुछ गद्दार तिलमिला उठे हैं. और वह हरसंभव प्रयास कर रहे हैं कि या तो वह इस आंदोलन को अपनी मिल्कियत बना सकें और इसमें नाकामी के बाद अब वह चमार रेजीमेंट के रूतबे को कम करने का प्रयास कर रहे हैं. भाजपा नेता शांत प्रकाश जाटव ने कहा कि चमार रेजीमेंट के गौरव से खेलने का प्रयास करने वाले ऐसे साहित्यकारों को करारा जवाब मिलेगा. उन्होंने कहा कि समाज को भी चाहिए कि एक निर्णायक मुकाम की तरफ बढ़ रही समाज के गौरव की इस लड़ाई में शामिल होने का प्रयास करने वाले ऐसे अराजक तत्वों पर नजर रखे, जो इस पूरे प्रयास को निष्फल करने के प्रयास में जुटे हैं.
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