Saturday, August 01, 2020

उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जातियों की स्थिति

उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा प्रदेश है यहां की आबादी 2011 जनगणना के अनुसार 19 करोड़ 90 लाख है इसमें अनुसूचित जातियों की आबादी 2011 जनगणना में चार करोड़ 21 लाख थी प्रदेश में 66 अनुसूचित जातियां निवास करती है प्रदेश में लगभग 98000 गांव हैं जिनमें 8000 से अधिक गांव में अनुसूचित जातियों की जनसंख्या 50% से 90% तक है वही 13 हजार से अधिक गांव में अनुसूचित जाति की जनसंख्या 30% से 40% तक प्रदेश में शिक्षा का सामान्य स्तर 56.3% था अनुसूचित जातियों का शिक्षा स्तर 40.2% प्रदेश में गरीबों का सामान्य स्तर 28.3% और अनुसूचित जाति में गरीबी का स्तर 36.8% गरीब तबका ज्यादा होने के कारण अनुसूचित जातियों पर अत्याचार के मामले सर्वाधिक उत्तर प्रदेश में देखने में आते रहे।


राजनीतिक दृष्टि से उत्तर प्रदेश लोकसभा की 80 सीटों में से आरक्षित सीटें 17 है वहीं विधानसभा 403 सीटों में से 85 सीटें आरक्षित हैं नगर निगम की 12 सीटें जिनमें से 2 सीटें आरक्षित हैं

भारतीय जनता पार्टी के संदर्भ में यदि अनुसूचित जातियों का रुझान देखे तो वर्ष 1991 में 61 सीटें 1993 में 37 सीटें 1996 में 19 सीटें 2002 में 12 सीटें 2007 में 7 सीटें 2012 में 3 सीटें भारतीय जनता पार्टी को मिली


उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जातियों की संख्या 66 है कुल आबादी का 21% हिस्सा अनुसूचित जातियों का है इनमें 3 जातियां चमार जाटव और धूसिया इनकी आबादी लगभग 11.70% है यह संपूर्ण उत्तर प्रदेश में निवास करती हैं उसके बाद पासी और तरमाली इनकी आबादी 3.34% है और यह मुख्य रूप से इलाहाबाद प्रतापगढ़ रायबरेली बाराबंकी उन्नाव हरदोई सीतापुर और लखीमपुर खीरी में निवासरत है धोबी इनकी कुल आबादी 1.36% है और पूरे उत्तर प्रदेश में इनका आबादी है, कोरी यह 1.13% है वाल्मीकि 0.62% खटीक 0.40% धानुक 0.33%  संपूर्ण उत्तर प्रदेश में निवासरत है गोंड 0.26% वाराणसी मिर्जापुर बांदा हमीरपुर झांसी जालौन मे आबादी कोल 0.23% इलाहाबाद मिर्जापुर सोनभद्र वाराणसी बांदा में निवासरत शेष जातियां जिनकी आबादी 1. 63% है संपूर्ण उत्तर प्रदेश में पाई जाती हैं


चमार जाटव और धूसिया इनकी आबादी सहारनपुर मुजफ्फरनगर बिजनौर मुरादाबाद ज्योतिबा फूले नगर मेरठ गाजियाबाद गौतम बुध नगर बुलंदशहर अलीगढ़ हाथरस मथुरा आगरा फिरोजाबाद एटा बदायूँ सीतापुर खीरी हरदोई उन्नाव कन्नौज इटावा औरैया कानपुर देहात जालौन झांसी ललितपुर हमीरपुर महोबा बांदा चित्रकूट अंबेडकर नगर सिद्धार्थनगर बस्ती संत कबीर नगर महाराजगंज देवरिया आजमगढ़ मऊ बलिया जौनपुर गाजीपुर चंदौली संत रविदास नगर मिर्जापुर सोनभद्र 10% से 21% तक हैं और यही कारण है की यह जाति हर एक राजनीतिक दल के रडार पर है बामसेफ ने जाटव और चमार सरकारी कर्मचारियों अध्यापकों के बीच कैडर स्थापित किया है परिणाम स्वरूप यह लोग भाजपा को हिंदू संगठन और खुद को हिंदू विरोधी संगठन के रूप में प्रचारित कर समाज को अपनी ओर आकृष्ट कर रहे हैं।


बामसेफ द्वारा चलाए जा रहे कैडर कार्यक्रमों में हिंदू धर्म का खुलकर विरोध किया जाता है सनातन देवी देवताओं का पुरजोर विरोध किया जाता है क्योंकि इनका कैडर सरकारी नौकरी कर रहे कर्मचारियों के बीच अमूमन है इस कारण इनके परिवारों में और जो लोग नौकरियों में नहीं है उन पर धीरे-धीरे प्रभाव बढ़ रहा है देखने में आया है कि घर की महिलाओं को हिंदू रीति-रिवाजों से दूर करने में इन लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है जो लोग इनके कैडर नहीं करते उनका मानना है कि जिन देवी देवताओं को हमारे पूर्वजों ने पूजा इनके कहने पर हम उनको क्यों छोड़े और यही कारण है की हिंदू त्योहारों पर विशेषकर कावड़ यात्रा के दौरान यह वर्ग पूरी आस्था के साथ उस यात्रा में शामिल होता है।


पश्चिम उत्तर प्रदेश में विगत कुछ वर्षों में कुछ मुस्लिमों की मदद से भीम आर्मी जैसी वामपंथी विचारधारा के साथ कुछ जाटव चमार जाति के नौजवान जुड़े हैं जो समाज में मुस्लिम लड़कों के साथ मिलकर जय भीम जय मीम जैसे नारों से नौजवानों को भड़का रहे हैं इस पर काम करने की सख्त जरूरत है। 


यह नौजवान संभवत पहले मायावती के प्रभाव में थे अब यह नई पीढ़ी के नौजवान मायावती को अपना नेता ना मानते हुए नए नेता की तलाश में है। झूठ पर आधारित भीम आर्मी किस प्रकार नौजवानों को गुमराह कर रही है इसका उदाहरण आप सहारनपुर में हुई घटना को देखकर कर सकते हैं महाराणा प्रताप शोभायात्रा में जाटव लड़कों और उनके साथ मुस्लिम लड़कों द्वारा पथराव किया गया जिसमें एक क्षत्रिय युवक की मृत्यु हुई मगर पूरे देश के मीडिया ने और वामपंथियों ने दलित उत्पीड़न कहकर पूरे उत्तर प्रदेश में बलवा किया। जबकि एक भी व्यक्ति अनुसूचित जाति का उस दिन हताहत नहीं हुआ था। 


रोहित वेमुला जो सामान्य जाति का था उसको अनुसूचित जाति का बता कर देश में उपद्रव किया ठीक उसी प्रकार ऊना की घटना जिसको कांग्रेसी विधायक द्वारा प्रायोजित किया गया उस पर भी इन लोगों ने बलवा किया। अलीगढ़ में खटीक युवक की हत्या आगरा में अनुसूचित जाति के युवक की हत्या मुरादाबाद में अनुसूचित जाति की लड़की के साथ बलात्कार जैसी घटनाएं जिनको मुसलमानों ने अंजाम दिया किसी भी अनुसूचित जाति के नेता ने ना विरोध किया ना चर्चा इससे साफ जाहिर है कि जितने भी प्रकरण अनुसूचित जाति उत्पीड़न के होते हैं उन्हें बहुत सावधानी से जांच करने की आवश्यकता है। 


कासगंज में दबंगों द्वारा अनुसूचित जाति के व्यक्ति को घोड़ी पर बारात निकालने का विरोध वर्षों से चला आ रहा था चाहे बसपा शासन रहा चाहे सपा शासन उस परंपरा को भाजपा शासन में तोड़ा गया। अनुसूचित जातियों पर उत्पीड़न की घटनाएं निसंदेह देहात के क्षेत्रों में ध्यान में आती है परंतु साथ ही साथ अनुसूचित जाति सुरक्षा कानून का दुरुपयोग भी ध्यान में आता है तमाम जगहों पर आपसी रंजिश में अनुसूचित जाति के व्यक्ति द्वारा सामान्य जाति के व्यक्ति द्वारा झूठी शिकायत के लिए इस्तेमाल होते हुए बड़ी तादाद में देखा जा रहा है इस पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।


अनुसूचित जाति के अधिकांश परिवार खेती मजदूरी राजमिस्त्री बेलदारी रेहड़ी पटरी सफेदी शहरों में महिलाओं द्वारा साफ सफाई के कामों में रिक्शा ऑटो रिक्शा बैटरी रिक्शा ओला उबर सिलाई का काम कढ़ाई का काम पर निर्भर है इसका कारण शिक्षा का अभाव। देहातों के स्कूलों की स्थिति बेहद दयनीय रही है सरकारी स्कूलों की हालत खराब होने के कारण यह बच्चे पढ़ाई छोड़ देते हैं और कुछ समय बाद उक्त कामों में जुड़कर परिवार का भरण पोषण करते हैं। उक्त सभी काम करने के लिए इस वर्ग को शहरों में जाना पड़ता है जहां झोपड़पट्टी बनाकर या एक कमरा किराए पर लेकर यह लोग रोजगार करते हैं। सही मायनों में इनके पास देहातों में जमीन भी हैं कच्चे या थोड़े बहुत पक्के घर भी हैं मगर रोजगार ना होने के कारण शहर में नर्क जैसा जीवन जीने के लिए यह लोग मजबूर हो जाते हैं।


भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत काफी संख्या में लोगों को ढाई लाख रुपया मकान बनाने के लिए मिला है जिससे इन लोगों ने पक्के मकान बनाने शुरू कर दिए हैं स्वच्छता अभियान के अंतर्गत घर के परिसर में सरकारी सहायता से शौचालय उन्होंने बनाया है जिस कारण परिवार को सुरक्षा का आभास होता है।


हर जिले में इन श्रमिकों को रोजगार मिले तो यह लोग उन मकानों में खुशी से रह पाएंगे उज्जवला योजना के अंतर्गत बड़ी संख्या में महिलाओं को गैस चूल्हा और बिजली के कनेक्शन भी मिले हैं जिससे इनका जीवन स्तर बेहतर हो रहा है बच्चों को शिक्षा की व्यवस्था बेहतर बने इसका प्रयास करना जरूरी है क्योंकि सरकारी स्कूलों में इन्हीं गरीब लोगों के बच्चे पढ़ते हैं इनके बच्चों को खेलकूद से जोड़ने की भी आवश्यकता है जिससे हमें अच्छे खिलाड़ी भी मिलेंगे।


स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभी काफी काम करने की आवश्यकता है जिस प्रकार भारत सरकार ने आयुष्मान भारत योजना शुरू की है मगर अभी उसका लाभ असल जरूरतमंद को नहीं मिल पा रहा है काफी बड़ी संख्या में इलाज ना मिलने के कारण कर्जा और कर्जा और उसके बाद मौत इस प्रकार की घटनाएं अक्सर देखने में आ रही हैं। 


शहरों की ओर पलायन रोकने के लिए कुछ पशुपालन जैविक खेती ऐसे रचनात्मक कृषि कार्य से अवगत कराने के लिए नौजवानों को प्रशिक्षण की आवश्यकता है। 


बामसेफ द्वारा अनुसूचित जाति समाज के लोगों के दिमाग में हीन भावना जिस प्रकार भरी गई है उससे उन को बाहर निकालने के लिए कार्य करने की आवश्यकता है उनको यह बताने की जरूरत है कि उनका इतिहास गौरवशाली रहा जिस प्रकार चमार रेजीमेंट जो अंग्रेजों के समय में सैनिक रेजिमेंट हुआ करती थी उसको अंग्रेजों ने नेताजी सुभाष चंद्र के विरुद्ध सिंगापुर लड़ने भेजा जहां चमार रेजीमेंट के सिपाहियों ने अंग्रेजों से बगावत कर सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज को ज्वाइन कर अंग्रेजो के खिलाफ युद्ध किया, जिस कारण देश में सेना ने बगावत की और अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। ऐसा इतिहास जिसे कांग्रेस द्वारा अंग्रेजों के इशारे पर छुपाया गया ऐसी तमाम बातें हैं जिससे इस समाज के मन में पल रही हीन भावना खत्म हो सकती है।


वाल्मीकि समाज अधिकांश अपने सफाई के कार्य से जुड़े हैं शहरों में अलग बस्तियों में रहकर सफाई के कार्यों में इनका मुख्य योगदान रहता है यहां भी नौजवान मुख्य पेशा छोड़ अन्य कामों में जुड़ने का प्रयास कर रहे हैं भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही तमाम योजनाओं का लाभ यह लोग कम पढ़े लिखे और प्रशिक्षित ना होने के कारण नहीं ले पा रहे हैं मन में कुछ करने का जज्बा मगर हौसला ना होने के कारण जानकारी ना होने के कारण लाभ नहीं ले पा रहे है।


अल्प अवधि की प्रशिक्षण शिविर लगाकर सरकार की योजनाओं स्वास्थ्य संबंधी जानकारियों के माध्यम से इस समाज के बीच में जाना हो सकता है जिसका प्रभाव वामपंथियों के मंसूबों पर जरूर पड़ेगा।


"अनुसूचित जाति के लोगों के साथ चलने की आवश्यकता है उन्हें उपकृत करने से उनमें हीन भावना जन्म लेती है"


शान्त प्रकाश जाटव

1 अगस्त 2020

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