चमार रेजीमेंट फोरम के पदाधिकारियों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष शांत प्रकाश जाटव की तरफ से दिवंगत को दी श्रद्धांजलि
अंतिम संस्कार में नहीं दिखाई दिया कोई भी स्वयंभू दलित नेता
चमार रेजीमेंट के आखिरी जीवित सिपाही चुन्नीलाल जी का आज दिनांक 23 नवंबर 2022 प्रातः 2:00 बजे लगभग 108 वर्ष की उम्र में देहांत हो गया। अंतिम संस्कार में चमार रेजीमेंट फोरम के राष्ट्रीय महासचिव चौधरी रामनिवास खेड़ी मौजूद रहे उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष शांत प्रकाश जाटव जी की तरफ से पुष्पांजलि कर दिवंगत को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर कोई भी तथाकथित दलित नेता नजर नहीं आया।
भाजपा नेता शांत प्रकाश जाटव चमार रेजीमेंट फोरम का गठन करके वर्षों से चमार रेजीमेंट की सेना में पुन: बहाली के लिए सरकार से पत्र व्यवहार कर रहे हैं, उनके प्रयास से जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में तत्कालीन रक्षा मंत्री स्व. मनोहर पारिकर जी ने शोध हेतु सीट स्थापित कराई थी।
भाजपा नेता शांत प्रकाश जाटव द्वारा भारत सरकार से चमार रेजिमेंट के अभूतपूर्व योगदान के इतिहास को ध्यान में रखते हुए 4 मांग की गई हैं, वीर चमार रेजीमेंट की शीघ्र अति शीघ्र भारतीय सेना में पुनः बहाली की जाए, चमार रेजीमेंट के सैनिकों जो अंग्रेजों से युद्ध के दौरान शहीद हुए या जिन को अंग्रेजों ने बागी घोषित कर 1943 में जेलों में बंद कर यातनाएं दीं को सभी राज्य सैनिक बोर्ड द्वारा सूचीबद्ध कराकर स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा दिया जाए, चमार रेजीमेंट के अंग्रेजो के खिलाफ संघर्ष के गौरवशाली इतिहास को सम्मान देने हेतु राजधानी दिल्ली सहित सभी प्रदेशों की राजधानियों व समस्त जिलों में शौर्य स्तम्भ स्थापित कराए जाएं ताकि समाज चमार जाति के गौरवशाली इतिहास को जाने और उनके देशभक्ति के जज्बे को समझें और फख्र करें, चमार रेजीमेंट की वीरता की कथाएं पाठ्य पुस्तकों में शामिल की जाएं।
ज्ञात हो कि चमार रेजीमेंट ने 1942 में अंग्रेजो के खिलाफ बगावत कर सुभाष चंद्र बोस के साथ आई एन ए में शामिल हो अंग्रेजो के खिलाफ युद्ध कर उनके दांत खट्टे कर दिए थे परिणाम स्वरूप देश में विरोध की लहर उठी और अंग्रेजों को भारत छोड़ने का कदम उठाना पड़ा उसी दौरान अंग्रेजों ने सुभाष चंद्र बोस को वार क्रिमिनल घोषित किया और चमार रेजीमेंट पर प्रतिबंध लगा दिया जिसका भारतीय सेना में बहाली हेतु शांत प्रकाश जाटव द्वारा लगातार मांग की जा रही है।
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