प्रतिष्ठा में, दिनांक 17 अक्टूबर 2015
आदरणीय श्री नरेंद्र दामोदर मोदी जी
माननीय प्रधानमन्त्री, भारत सरकार,
प्रधानमन्त्री कार्यालय, साउथ ब्लाक, नई दिल्ली – 110011
विषय: अंग्रेजों द्वारा प्रतिबंधित वीर चमार
रेजिमेंट की भारतीय सेना में पुन: स्थापना
मान्यवर,
अंग्रेजों द्वारा स्थापित चमार रेजिमेंट को आई
एन ए से मुकाबले के लिए अंग्रेजों द्वारा कैप्टन मोहन लाल कुरील के नेतृत्व में सिंगापुर
भेजा गया. जहाँ कैप्टन मोहन लाल कुरील नें देखा की अंग्रेज चमारों के हाथों अपने
ही देशवासियों को मरवा रहे हैं, परिणामस्वरूप उन्होंने चमार रेजिमेंट को आई एन ए
में शामिल कर नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के साथ अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध करने का
निर्णय लिया. अंग्रेजों नें 1946 में चमार रेजिमेंट पर प्रतिबन्ध लगा दिया.
अंग्रेजों से युद्ध के दौरान हजारो चमारों नें अपने प्राणों की आहुति दी, कुछ
म्यांमार व् थाईलेंड के जंगलों में भटक गए जो पकड़े गए उन्हें मौत के घाट उतार दिया
गया. कैप्टन मोहन लाल कुरील को भी युद्धबंदी बना लिया गया जिन्हें आजादी के बाद
रिहा किया गया जो 1952 में उन्नाव की सफीपुर विधान सभा से विधायक भी रहे.
जैसा की विदित है की चमार रेजिमेंट नें आई एन ए
के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध कर न केवल देशभक्ति का परिचय दिया बल्कि
चमार जाति का सिर भी गौरव से ऊँचा किया.
इस पत्र के माध्यम से आपसे विनम्र आग्रह है की
चमारों की वीरता के गौरवशाली इतिहास को ध्यान में रखते हुए भारतीय सेना में चमार
रेजिमेंट को पुन: स्थापित करने का कष्ट करें.
सादर
भवदीय
(शान्त प्रकाश जाटव)
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