Tuesday, May 01, 2018

भाजपा नेता शांत प्रकाश जाटव की सरकारी संस्थानों, स्मारकों व पार्कों से दलित शब्द हटाने की मांग, कहा दलित शब्द से बिगड़ती है देश की छवि


सांकेतिक चित्र


संवाददाता. 
नई दिल्ली. 30 अप्रैल. सरकारी प्रतिष्ठानों तथा सार्वजनिक कार्यों में डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर का पूरा नाम लिखे जाने की सफल मुहिम चला चुके वरिष्ठ भाजपा नेता शांत प्रकाश जाटव ने अब सार्वजनिक स्थलों पर दलित शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति जताते हुए प्रधानमंत्री से इस पर रोक लगाने की मांग की है. जाटव ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा है, कि जिन सरकारी संस्थानों, स्मारकों व पार्कों के नाम में दलित शब्द जुड़ा है, यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण, लज्जाजनक व शर्मनाक है.

shant prakash jatav, BJP Leader

भाजपा नेता ने कहा है, कि इससे भारत की छवि बिगड़ती है, इसको तुरंत हटाया जाए. जाटव ने प्रधानमंत्री के नाम लिखे इस पत्र में कहा है, कि उत्तर प्रदेश लगभग 22 करोड़ आबादी का सबसे बड़ा प्रदेश है. यहां विभिन्न जाति-धर्म के लोग रहते हैं. इस कारण से राजनीतिक दलों व राजनीतिज्ञों के रडार पर उत्तर प्रदेश हमेशा रहा है. और यही कारण है, कि जो भी सरकारें उत्तर प्रदेश में शासन करने आती हैं, वह अपने तरीके से इस प्रदेश पर अपने कार्य की छाप छोड़ने का प्रयास करती हैं, जो कि अच्छा भी है. इससे प्रदेश का आमूलचूल विकास होता है और साथ-साथ ऐतिहासिक महत्व बढ़ता है. यह भी पढ़ें : लालकिले के रखरखाव पर ओछी सियासत और स्तरहीन पत्रकारिता..! पत्र में लिखा है, कि उसी श्रेणी में एक सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में पार्कों के निर्माण किए गए, जिनके नामकरण में दलित शब्द का जमकर उपयोग किया गया. एक पार्क दलित प्रेरणा स्थल हो सकता है यह अपने आप में विचारणीय विषय है. एक वर्ग को दलित कहकर की जाने वाली घिनौनी राजनीति का परिचायक है. जाटव ने लिखा है, कि एक स्वस्थ सामाजिक इंसान स्वयं को दलित कहकर समाज में मानसिक रूप से भी श्रेष्ठ नहीं हो सकता. स्वयं को दलित कहना जीते जी आत्महत्या करने के समान है.

उन्होंने लिखा है, कि राजनीति के लिए इस शब्द का जमकर दुरुपयोग हो रहा है. अमेरिका में रहने वाला भारतीय नागरिक भी स्वयं को दलित भारतीय कहकर भारत को वहां लज्जित कर रहा है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है.
शांत प्रकाश जाटव ने सरकारी स्मारकों व पार्कों में लिखे जाने वाले दलित शब्द को तुरंत प्रभाव से हटाये जाने की मांग करते हुए लिखा है, कि ऐसे तमाम पार्क और स्मारक जिनके नाम के आगे दलित शब्द लिखा है, हिंदुस्तान को शर्मसार व लज्जित कर रहे हैं. एक सभ्य समाज में रहने वाला इंसान जो अनुसूचित जाति वर्ग से है वह इन स्थलों को देख कर असहज हो जाता है

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